"गणेश चतुर्थी": अवतरणों में अंतर

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'''गणेश चतुर्थी''' हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार [[भारत]] के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु [[महाराष्ट्र]] में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन [[गणेश]] का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नो दिन तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नो दिन बाद गाजे बाजे से श्री गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है।
 
== गणेश उत्सव क्यों मनाते है ==
श्रस्टि के आरम्भ में जब यह प्रश्न उठा की प्रथम पूज्य किसे माना जाय ! तो देवता भगवान् शिव के पास पहुंचे ! तब शिव जी ने कहा संपूर्ण [[पृथ्वी का वायुमण्डल|पृथ्वी]] की परिक्रमा जो सबसे पहले कर लेगा ! उसे ही प्रथम पूज्य माना [https://biographyarts.com/about-ganesh-chaturthi-in-hindi/ जायगा !]
 
इस प्रकार सभी देवता अपने-अपने वाहन में बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े।चुकी गणेश भगवान् का वाहन चूहा है ! और उनका शरीर स्थूल है ! तो भगवान् गणेश कैसे परिक्रमा कर पाते !
 
तब भगवान् [[गणेशोत्सव|गणेश]] जी ने अपनी बुद्धि और चतुराई से ! अपने पिता भगवान् शिवऔर माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए !
 
तब भगवान् [[शिवाजी|शिव]] ने कहा की तुमसे बड़ा और बुद्धिमान इस पूरे संसार में और कोई नहीं है ! माता और पिता की तीन परिक्रमा करने से तुमने तीनो लोको की परिक्रमा पूरी कर ली है ! और इसका पुण्य तुम्हे मिल गया जो पृथ्वी की परिक्रमा से भी बड़ा है।
 
इसलिए जो मनुष्य किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले तुम्हारा पूजन करेगा ! उसे किसी भी प्रकार की कठनाईयो का सामना नहीं करना पड़ेगा।
 
बस तभी से भगवान् गणेश अग्र पूज्य हो गये ! और उनकी पूजा सभी देवी और देवताओ से पहले की जाने लगी ! और फिर भगवान् गणेश की पूजा के बाद बाकी सभी देवताओ की पूजा की जाती है।
 
इसलिए गणेश चतुर्थी में गणेश भगवान् की पूजा की जाती है ! गणेश चतुर्थी को मनाने वाले सभी श्रद्धालु ! इस दिन स्थापित की गयी भगवान् गणेश की प्रतिमा को ग्यारहवे दिन अनन्त चतुर्दशी के दिन विसर्जित करते है ! और इस प्रकार गणेश उत्सव का समापन किया जाता है।
 
== पुराणानुसार ==
[[शिवपुराण]] में [[भाद्रपद]] मास के [[कृष्णपक्ष]] की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश की अवतरण-तिथि बताया गया है जबकि [[गणेशपुराण]] के मत से यह गणेशावतार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।
गण + पति = गणपति। संस्कृतकोशानुसार ‘गण’ अर्थात पवित्रक। ‘पति’ अर्थात स्वामी, ‘गणपति’ अर्थात पवित्रकों के स्वामी।
 
== गणेश उत्सव 10 दिनों तक क्यों मनाते [https://biographyarts.com/about-ganesh-chaturthi-in-hindi/ है] ==
धार्मिक ग्रंथो के अनुशार जब वेदव्यास जी ने महाभारत की कथा भगवन गणेश जी को दश दिनों तक सुनाई थी ! तब उन्होंने अपने नेत्र बंद कर लिए थे ! और जब दस दिन बाद आँखे खोली तो पाया की भगवान् गणेश जी का तापमान बहुत अधिक हो गया था।
 
फिर उसी समय वेदव्यास जी निकट स्थित कुंड में स्नान करवाया था ! जिससे उनके शरीर का तापमान कम हुआ ! इसलिए गणपति स्थापना के अगले दस दिन तक गणेश जी की पूजा की जाती है ! और फिर ग्यारहवे भगवान् गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।
 
गणेश विसर्जन इस बात का भी प्रतीक है ! की यह शरीर मिटटी का बना है.और अंत में मिटटी में ही मिल जाना है।
 
अब जानते है की गणेश उत्सव कबसे मनाया जाता है ! यह उत्सव वैसे तो कई वर्षो से मनाया जा रहा है ! लेकिन संन 1893 से पूर्व यह केवल घरो तक ही सीमित था ! उस समय सामूहिक उत्सव नहीं मनाया जाता था ! और न ही बड़े पैमानों पर पंडालों में इस तरह मनाया जाता था !
 
सन 1893 में बाल गंगा धर तिलक ने ! अंग्रजो के विरुद्ध एक जुट करने के लिए एक पैमाने पर इस उत्सव का आयोजन किया ! जिसमे बड़े पैमाने पर लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया ! और इस प्रकार पूरे राष्ट्र में गणेश चतुर्थी मनाया जाने लगा।
 
बालगंगाधर तिलक ने यह आयोजन महाराष्ट्र में किया था ! इसलिए यह पर्व पूरे महाराष्ट्र में बढ़ चढ़ कर मनाया जाने लगा !तिलक उस समय स्वराज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे !
 
और उन्हें एक ऐसा मंच चाहिए था जिसमे माध्यम से उनकी आवाज अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचे ! और तब उन्होंने गणपति उत्सव का चयन किया और इसे एक भव्य रूप दिया ! जिसकी छवि आज तक पूरे महाराष्ट्र में देखने को मिलता है।
 
== कथा ==