"तंत्रसाहित्य के विशिष्ट आचार्य": अवतरणों में अंतर

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ऐतिहासिक युग में [[आदि शंकराचार्य|शंंकराचार्य]] के परम गुरु [[गौडपादाचार्य]] का नाम उल्लेखयोग्य है। उनके द्वारा रचित 'सुभगोदय स्तुति' एवं 'श्रीविद्यारत्न सूत्र' प्रसिद्ध हैं। [[माध्यमिक तंत्र-साहित्य|मध्ययुग में तांत्रिक साधना एवं साहित्य रचना]] में जितने विद्वानों का प्रवेश हुआ था उनमें से कुछ विशिष्ट आचार्यो का संक्षिप्त विवरण यहाँ दिया जा रहा है-
'''महर्षि आचार्य'''''' '''''''''
 
'''[[लक्ष्मणदेशिक]]''': ये शादातिलक, ताराप्रदीप आदि ग्रथों के रचयिता थे। इनके विषय में यह परिचय मिलता है कि ये [[उत्पल]] के शिष्य थे।