"प्राच्यवाद": अवतरणों में अंतर
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== अवधारणा ==
प्राच्यवाद का मानना है कि यूरोपीय विद्वानों और अनुसंधानकर्ताओं द्वारा अफ़्रीका, एशिया और मध्य-पूर्व का किया गया चित्रण तथ्यों अथवा यथार्थ पर आधारित न हो कर कुछ पूर्व-निर्धारित रूढ़ियों पर आधृत है। यूरोपीय कलाकारों का चित्रण सभी पूर्वी समाजों को तर्कबुद्धि से वंचित, दुर्बल और स्त्रैण के रूप में दर्शाता है। इसके बरक्स वह पश्चिम को बुद्धिसंगत, बलवान और पौरुषपूर्ण चित्रित करता है। यह दुराग्रह पश्चिमी विद्वत्ता में इतना रच-बस गया है कि बहुत
▲यह दुराग्रह पश्चिमी विद्वत्ता में इतना रच-बस गया है कि बहुत से पश्चिमी प्रेक्षक भी इसे नहीं देख पाते हैं। साम्राज्यवादी प्रभुत्व के तहत बहुत से पूर्वी विद्वानों ने भी इसे आत्मसात कर लिया है। इस प्रक्रिया में पश्चिम सभ्यता का मानक बन गया है तथा प्राच्य असंगत हो गया है। इस प्रकार ऑक्सीडेंट (पश्चिम) ओरिएंट (पूर्व) को अपने विपरीत ध्रुव की तरह रचता है।
== अंतरअनुशासनात्मकता ==
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