"जैन धर्म में ॐ चिह्न": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Rishabh.rsd (वार्ता | योगदान) No need टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Rishabh.rsd (वार्ता | योगदान) No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 3:
पढमक्खरणिप्पणो ओंकारो पंचपरमेट्ठी।।</center>
जैनागम में
उसमें तृतीय परमेष्ठी ‘आचार्य’ का प्रथम अक्षर ‘आ’ मिलाने पर आ+आ मिलकर ‘आ’ ही शेष रहता है। उसमें चतुर्थ परमेष्ठी ‘उपाध्याय’ का पहला अक्षर ‘उ’ को मिलाने पर आ+उ मिलकर ‘ओ’ हो जाता है। अंतिम पाँचवें परमेष्ठी ‘साधु’ को जैनागम में मुनि भी कहा जाता है। अत: मुनि के प्रारंभिक अक्षर ‘म्’ को ‘ओ’ से मिलाने पर ओ+म् = ‘ओम्’ या ‘ओं’ बन जाता है।
|