"प्रत्यय": अवतरणों में अंतर

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संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-
# कृत प्रत्यय
# तद्धित प्ललललकप्रत्यय
 
====कृत प्रत्यय====
वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्उउइकुप्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रघरहलत्ययप्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण फीजरुईभीभी बनाए जाते हैं ।
 
जैसे:लिख +अक = लेखक
 
(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल + अक = लेखक , पाउकोहयपाठक , कारक , गायक , धावक , सहाजुयजिओउपपार्कयकसहायक , पालक आदि ।<br>
 
(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष + अन = पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।<br>
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====तद्धित प्रत्यय====
 
===कुछ उदाहरण===
;वान