"पत्रकारिता": अवतरणों में अंतर

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'''पत्रकारिता''' ([[अंग्रेजी]] : Journalism) आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, लिखना, जानकारी एकत्रित करके पहुँचाना, सम्पादित करना और सम्यक प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे - अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब-पत्रकारिता आदि। बदलते वक्त के साथ बाजारवाद और पत्रकारिता के अंतर्संबंधों ने पत्रकारिता की विषय-वस्तु तथा प्रस्तुति शैली में व्यापक परिवर्तन किए।
 
==परिभाषा h==
पत्रकारिता शब्द अंग्रेज़ी के "जर्नलिज़्म" (Journalism) का हिंदी रूपांतर है। शब्दार्थ की दृष्टि से "जर्नलिज्म" शब्द 'जर्नल' से निर्मित है और इसका आशय है 'दैनिक'। अर्थात जिसमें दैनिक कार्यों व सरकारी बैठकों का विवरण हो। आज जर्णल शब्द 'मैगजीन' का द्योतक हो चला है। यानी, दैनिक, दैनिक समाचार-पत्र या दूसरे प्रकाशन, कोई सर्वाधिक प्रकाशन जिसमें किसी विशिष्ट क्षेत्र के समाचार हो। ( डॉ॰ हरिमोहन एवं हरिशंकर जोशी- खोजी पत्रकारिता, तक्षशिला प्रकाशन )
 
पत्रकारिता [[लोकतंत्र]] का अविभाज्य अंग है। प्रतिपल परिवर्तित होनेवाले जीवन और जगत का दर्शन पत्रकारिता द्वारा ही संभंव है। परिस्थितियों के अध्ययन, चिंतन-मनन और आत्माभिव्यक्ति की प्रवृत्ति और दूसरों का कल्याण अर्थात् लोकमंगल की भावना ने ही पत्रकारिता को जन्म दिया।
 
:'''सी. जी. मूलर''' ने बिल्कुल सही कहा है कि-
: ''सामायिक ज्ञान का व्यवसाय ही पत्रकारिता है। इसमें तथ्यों की प्राप्ति उनका मूल्यांकन एवं ठीक-ठाक प्रस्तुतीकरण होता है।''
:''(Journilism is business of timely knowledge the business of obtaining the necessary facts, of evaluating them carefully and of presenting them fully and of acting on them wisely.)''
 
:'''डॉ॰ अर्जुन तिवारी''' के कथानानुसार-
:''ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। यह वह विद्या है जिसमें सभी प्रकार के पत्रकारों के कार्यो, कर्तव्यों और लक्ष्यों का विवेचन होता है। पत्रकारिता समय के साथ समाज की दिग्दर्शिका और नियामिका है।' '
:'''श्रीडॉ प्रेमनाथबद्रीनाथ चतुर्वेदीकपूर के अनुसार''' -'' पत्रकारिता विशिष्टपत्र देश,पत्रिकाओं कालके औरलिए परिस्थितिसमाचार केलेख आधारएकत्रित परतथा तथ्योंसंपादित काकरने, परोक्षप्रकाशन मूल्यआदेश देने का संदर्भ प्रस्तुत करतीकार्य है |''
 
:'''हिंदी शब्द सागर के अनुसार'''-'' पत्रकार का काम या व्यवसाय पत्रकारिता है|''
 
 
:'''श्री प्रेमनाथ चतुर्वेदी के अनुसार'''-'' पत्रकारिता विशिष्ट देश, काल और परिस्थिति के आधार पर तथ्यों का, परोक्ष मूल्य का संदर्भ प्रस्तुत करती है |''
:'''टाइम्स पत्रिका के अनुसार'''-'' पत्रकारिता इधर-उधर उधर से एकत्रित, सूचनाओं का केंद्र, जो सही दृष्टि से संदेश भेजने का काम करता है, जिससे घटनाओं का सहीपन को देखा जाता है|''
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:'''डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र के अनुसार'''-'' पत्रकारिता वह विद्या है जिसमें पत्रकारों के कार्यों, कर्तव्यों, और उद्देश्यों का विवेचन किया जाता है| जो अपने युग और अपने संबंध में लिखा जाए वह पत्रकारिता है|
 
:'''डॉ भुवन सुराणा के अनुसार'''-'' पत्रकारिता वह धर्म है जिसका संबंध पत्रकार के उस धर्म से है जिसमें वह तत्कालिक घटनाओं और समस्याओं का अधिक सही और निष्पक्ष विवरण पाठक के समक्ष प्रस्तुत करता है|''
 
:'''अल्पेश करकरे (आधुनिक दूरध्वनी पत्रकार)'''-'आधुनिकता के कारण पत्रकारिताने अब बहोत जलद गती प्राप्त की है !इस वजहसे लोग जलद खबरे जाननेके लिये इस दूरध्वनी पत्रकारिता को अपना रहे है!
 
उपरोक्त परिभाषाएं के आधार पर हम कह सकते हैं कि पत्रकारिता जनता को समसामयिक घटनाएं वस्तुनिष्ठ तथा निष्पक्ष रुप से उपलब्ध कराने का महत्वपूर्ण कार्य है |सत्य की आधार शीला पर पत्रकारिता का कार्य आधारित होता है तथा जनकल्याण की भावना से जुड़कर '''पत्रकारिता'''सामाजिक परिवर्तन का साधन बन जाता है|
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==पत्रकारिता का स्वरूप और विशेषतायें==
 
सामाजिक सरोकारों तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर ही पत्रकारिता सार्थक बनती है। सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुँचाने और प्रशासन की जनहितकारी नीतियों तथा योजनाओंयोजनाआें को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वाह ही सार्थक पत्रकारिता है।
 
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा पाया (स्तम्भ) भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्त्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं हासिल किया है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्वों के महत्त्व को देखते हुए समाज ने ही दर्जा दिया है। कोई भी लोकतंत्र तभी सशक्त है जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे। सार्थक पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी की भूमिका अपनाये।
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===बाल-पत्रकारिता===
बाल-मन स्वभावतस्वभावतः जिज्ञासु और सरल होता है। जीवन की यह वह अवस्था है जिसमें बच्चा अपने माता-पिता, शिक्षक और चारो तरफ के परिवेश से ही सीखता है। यही वह उम्र होती है जिसमें बच्चे के मास्तिष्क पर किसी भी घटना या सूचना की आमिट छाप पड़ जाती है। बच्चे के आस-पास की परिवेश उसके व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
 
एक समय था जब बच्चों को परीकथाओं, लोककथाआें, पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक कथाआें के माध्यमसे बहलाने-फुसलाने के साथ-साथ उनका ज्ञानवर्ध्दन किया जाता था। इन कथाआें का बच्चों के चारित्रिक विकास पर भी गहरा प्रभाव होता था।
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भारत जैसे कृषि प्रधान देश में हमारी अर्थ व्यवस्था काफी कुछ कृषि और कृषि उत्पादों पर निर्भर है। भारत में तेजी से विकसित हो रहे नगरों और महानगरों के बावजूद आज भी देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में ही बसती है। देश के बजट प्रावधानों का एक बड़ा हिस्सा कृषि एवं ग्रामीण विकास के मद में खर्च होता है। आर्थिक पत्रकारिता का एक महत्त्वपूर्ण आयाम कृषि एवं कृषि आधारित योजनाआें तथा ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों का कवरेज भी है। ग्रामीण विकास के बिना देश का विकास और आर्थिक पत्रकारिता का उद्ददेश्य अधूरा ही रहेगा। व्यापार के परंपरागत क्षेत्रों के अलावा रिटेल, बीमा, संचार, विज्ञान एवं तकनीक जैसे व्यापार के आधुनिक क्षेत्रों ने आर्थिक पत्रकारिता को व्यापक क्षितिज और नया आयाम दिया है। देश की अर्थव्यवस्था को सही दिशा देकर उसे सुचार और सुद्दढ़ बनाना आर्थिक पत्रकारिता के लिए चुनौती तो है ही उसकी सार्थकता भी इसी में निहित है।
 
'''संसदीय''' '''पत्रकारिता'''
 
संसदीय समाचार का अर्थ संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा तथा राज्यों के विधान मंडल विधानसभा और विधान परिषद की गतिविधियों के समाचारों से होता है लोकतंत्र में संसदीय गतिविधियों का सर्वाधिक महत्व है जीवन और समाज के हर क्षेत्र को प्रभावित करने वाले काम संसद में होते हैं संसद ही वह स्थान है जहां नए-नए विधि-विधान बनाए जाते हैं देश की सरकार की आर्थिक गतिविधियों को दिशा दी जाती है और सत्ता में जनता की भागीदारी तय होती है यहां सरकार के कामकाज पर चर्चा होती है सत्तापक्ष जहां उसकी अच्छाइयां दिन आता है विपक्ष उसकी कमियों को उजागर करने की कोशिश करता है जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की सक्रियता निष्क्रियता एवं योग्यता का वास्तविक आईना संसद ही होता है यही कारण है कि आमतौर पर लोगों की रूचि इन समाचारों में होती है |
 
संसदीय समाचारों की रिपोर्टिंग करने वाले संवाददाताओं को संसद एवं विधान मंडलों के गठन उनकी कार्यप्रणाली एवं कार्य आदि की जानकारी तो होनी ही चाहिए साथ ही उन्हें संसदीय विशेष अधिकारों को भी जानकारी रखना चाहिए संसदीय विशेषाधिकार ओं की जानकारी के अभाव में संवाददाता और उसका समाचार पत्र कई तरह की मुसीबत में पड़ सकता है यद्यपि अनुभवी संवाददाता अपने समाचार इस ढंग से लिखते हैं कि वे प्राय विशेषाधिकार के दायरे में नहीं आते फिर भी सावधानी तो बरतनी ही पड़ती है इसलिए संसदीय रिपोर्टिंग करने वाले संवाददाताओं को विशेष विशेष अधिकारों के बारे में अध्ययन कर लेना चाहिए संसद एवं विधान मंडल के सदस्यों को जहां अपनी छवि जनता में बनाने एवं निखारने के लिए संवाददाताओं एवं समाचार माध्यमों की जरूरत होती है वही समाचार पत्र को भी महत्वपूर्ण समाचारों के लिए संसद एवं उसके सदस्यों की जरूरत होती है यही कारण है कि दोनों पक्षकारों से बचना चाहते हैं अपने-अपने स्वार्थ के कारण दोनों पक्ष एक दूसरे से मधुर संबंध ही रखना पसंद करते हैं |
 
'''प्रमुख पत्र-पत्रिकाएँः'''