"पितृ पक्ष": अवतरणों में अंतर

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जब बात आती है श्राद्ध कर्म की तो बिहार स्थित गया का नाम बड़ी प्रमुखता व आदर से लिया जाता है। गया समूचे भारत वर्ष में हीं नहीं सम्पूर्ण विश्व में दो स्थान श्राद्ध तर्पण हेतु बहुत प्रसिद्द है। वह दो स्थान है बोध गया और विष्णुपद मन्दिर | '''विष्णुपद मंदिर''' वह स्थान जहां माना जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु के चरण उपस्थित है, जिसकी पूजा करने के लिए लोग देश के कोने-कोने से आते हैं। गया में जो दूसरा सबसे प्रमुख स्थान है जिसके लिए लोग दूर दूर से आते है वह स्थान एक नदी है, उसका नाम "फल्गु नदी" है। ऐसा माना जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने स्वयं इस स्थान पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंड दान किया था। तब से यह माना जाने लगा की इस स्थान पर आकर कोई भी व्यक्ति अपने पितरो के निमित्त पिंड दान करेगा तो उसके पितृ उससे तृप्त रहेंगे और वह व्यक्ति अपने पितृऋण से उरिण हो जायेगा | इस स्थान का नाम ‘गया’ इसलिए रखा गया क्योंकि भगवान विष्णु ने यहीं के धरती पर असुर गयासुर का वध किया था। तब से इस स्थान का नाम भारत के प्रमुख तीर्थस्थानो में आता है और बड़ी ही श्रद्धा और आदर से "गया जी" बोला जाता है।
 
और हां याद रहे पितृपक्ष के दौरान कभी भी किसी को गलत काम नहीं करना चाहिए अर्थात किसी भी तरीके का गलत काम अन्यथा पित्र अर्थात हमारे पूर्वज हमें श्राप दे देते हैं जिससे हमें पितृदोष का भोगी बनना पड़ता है और जीवन में कई कस्ट झेलने पड़ते हैं इसीलिए विश्वास करिए पूर्वज हमारे जो अब इस दुनिया में नहीं रहे वह इस इस काल में मान्यता है कि धरती पर उतर आते हैं जो हमारे सभी कर्मों को देख रहे होते हैं तो क्या हमें नहीं लगता हम भी उन्हें खुश रखें ध्यान रहे पूर्वजों का आशीर्वाद जन्म जन्मांतर तक हमारे साथ रहता है अगर हम सत्कर्म अर्थात हमेशा अच्छे काम करते रहेंगे तो वह हमें आशीर्वाद अवश्य देंगे और हमारा जीवन सुखमय और विकास की ओर बढ़ता रहेगा और श्राद्ध अर्थात श्रद्धा भाव से किया गया हर एक कर्मकांड हमारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति दिलाता है और उन्हें अनंत काल तक खुश रखता है। एक बात और ध्यान रखें हमेशा श्राद्ध या पितृपक्ष के दौरान किया गया कार्य पवित्र मन और श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए ऐसा यह सोचकर नहीं करना चाहिए कि 15 -16 दिन का पितृपक्ष किसी ना किसी तरह निकल जाए बस। हमेशा श्राद्ध करने से पूर्व या पित्र विसर्जन या तिलांजलि या पिंड दान कोई भी कार्य करने से पूर्व पितरों को अर्थात पूर्वजों को अपनी अंतरात्मा ,मन और दिल में उतार लें उनको याद करें उनके कर्मों को याद करें । अपनी गलतियों की क्षमा मांगे।
ओम शांति: शांति: शांति:।।।
 
===== '''[https://www.mpanchang.com/festivals/pitrupaksha-begin/ श्राद्ध २०१९] विवरण''' =====