"वेदान्त दर्शन": अवतरणों में अंतर

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वेदान्त [[ज्ञानयोग]] की एक शाखा है जो व्यक्ति को ज्ञान प्राप्ति की दिशा में उत्प्रेरित करता है। इसका मुख्य स्रोत [[उपनिषद]] है जो [[वेद]] ग्रंथो और [[अरण्यक]] ग्रंथों का सार समझे जाते हैं। [[उपनिषद्]] वैदिक साहित्य का अंतिम भाग है, इसीलिए इसको '''वेदान्त''' कहते हैं। कर्मकांड और उपासना का मुख्यत: वर्णन मंत्र और ब्राह्मणों में है, ज्ञान का विवेचन उपनिषदों में। 'वेदान्त' का शाब्दिक अर्थ है - 'वेदों का अंत' (अथवा सार)।