"कहानी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Meddah story teller.png|thumb|right|300px|कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)]]'''कहानी''' [[हिन्दी]] में [[गद्य]] लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे '''कहानी''' के नाम से जाना गया। [[बंगला]] में इसे '''गल्प''' कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी [[गद्य]] [[कथा साहित्य]] का एक अन्यतम भेद तथा [[उपन्यास]] से भी अधिक लोकप्रिय [[साहित्य]] का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और
प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। '[[गुणढ्य]]' की "[[वृहत्कथा]]" को, जिसमें '[[उदयन]]', '[[वासवदत्ता]]', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव '[[दण्डी]]' के "[[दशकुमार चरित]]", '[[बाणभट्ट]]' की "[[कादम्बरी]]", '[[सुबन्धु]]' की "[[वासवदत्ता]]", '[[धनपाल]]' की "[[तिलकमंजरी]]", '[[सोमदेव]]' के "[[यशस्तिलक]]" तथा "[[मालतीमाधव]]", "[[अभिज्ञान शाकुन्तलम्]]", "[[मालविकाग्निमित्र]]", "[[विक्रमोर्वशीय]]", "[[रत्नावली]]", "[[मृच्छकटिकम्]]" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्चात् छोटे आकार वाली "[[पंचतंत्र]]", "[[हितोपदेश]]", "[[बेताल पच्चीसी]]", "[[सिंहासन बत्तीसी]]", "[[शुक सप्तति]]", "[[कथा सरित्सागर]]", "[[भोजप्रबन्ध]]" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं।
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* [[कथानक]] (प्लॉट)
* [[कथानक रूढ़ि]]
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