"गिरनार": अवतरणों में अंतर

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इस अभिलेख की चट्टान पर 458 ई. का एक अन्य अभिलेख गुप्तसम्राट् [[स्कंदगुप्त]] के समय का भी है जिसमें सुराष्ट्र के तत्कालीन राष्ट्रिक पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालित द्वारा सुदर्शन तड़ाग के सेतु या बाँध का पुन: एक बार जीर्णोद्धार किए जाने का उल्लेख है क्योंकि पुराना बाँध, जिसे रूद्रदामन्‌ ने बनवाया था, स्कंदगुप्त के राज्याभिषेक वर्ष में जल के महावेग से नष्ट भ्रष्ट हो गया था।
 
अंबामाता का मंदिर अंबामाता चोटी पर स्थित है। गौमुखी, हनुमानधारा और कमंडल नामक तीन कुंड यहाँ स्थित हैं। प्राचीन काल में ये पहाड़ियाँ जैन मुनियों की तपस्या एवं कुछ [[अघोर पंथ|अघोरी संतों]] की क्रीड़ास्थली रहीं। [[पालीताना|पालिताना]] और सम्मेद शिखर के बाद यह जैनियों का प्रमुख तीर्थ हैं। पर्वत पर स्थित जैन मंदिर प्राचीन एवं सुंदर हैं। यहाँ के [[शेर|सिंहों]] की नस्ल भी अधिक विख्यात है जिनकी संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। क्षत्रीययहीं महाराजा खेतसिह खंगार राज्यवंशजी की जन्मस्थली भी है,जहां से खंगार क्षत्रिय जाति का उद्गम हुआ। खंगार सौराष्ट्र, गुजरात में जैन धर्म के संस्थापकसंरक्षक खेतसिंहरहे हैं जैन धर्म की जन्मस्थलीपवित्र पुस्तक "गिरनार गौरव" इसकी जूनागढ़गवाही हीदेती है।
 
==भूगोल==