"जैन धर्म": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
{{मुख्य|जैन धर्म का इतिहास}}
जैन धर्म कितना प्राचीन है, ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता। जैन ग्रंथो के अनुसार जैन धर्म अनादिकाल से है। [[महावीर स्वामी]] या वर्धमान ने ईसा से ५२७४६८ वर्ष पूर्व [[निर्वाण]] प्राप्त किया था। इसी समय से पीछे कुछ लोग विशेषकर यूरोपियन विद्वान् जैन धर्म का प्रचलित होना मानते हैं। जैनों ने अपने ग्रंथों को [[जैन आगम|आगम]], [[पुराण]] आदि में विभक्त किया है। प्रो॰ जेकोबी आदि के आधुनिक अन्वेषणों के अनुसार यह सिद्ध किया गया है की जैन धर्म बौद्ध धर्म से पहले का है। [[उदयगिरि]], [[जूनागढ]] आदि के [[शिलालेख|शिलालेखों]] से भी जैनमत की प्राचीनता पाई जाती है। हिन्दू ग्रन्थ, स्कन्द पुराण (अध्याय ३७) के अनुसार: "ऋषभदेव [[नाभिराज]] के पुत्र थे, ऋषभ के पुत्र [[भरत चक्रवर्ती|भरत]] थे, और इनके ही नाम पर इस देश का नाम "भारतवर्ष" पड़ा"|{{sfn|Sangave|२००१|p=२३}}
 
भारतीय ज्योतिष में यूनानियों की शैली का प्रचार विक्रमीय संवत् से तीन सौ वर्ष पीछे हुआ। पर जैनों के मूल ग्रंथ अंगों में यवन ज्योतिष का कुछ भी आभास नहीं है। जिस प्रकार ब्रह्मणों की वेद संहिता में पंचवर्षात्मक युग है और कृत्तिका से नक्षत्रों की गणना है उसी प्रकार जैनों के अंग ग्रंथों में भी है। इससे उनकी प्राचीनता सिद्ध होती है।