"टिटहरी": अवतरणों में अंतर

छो टिटहरी एक क्षदम वेशधारी पक्षी है जो अपने बच्चों को जन्म के समय से ही समस्याओं से निपने के लिए छुपने की कला सिखाती है।
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→‎प्रवृतियाँ: टिटहरी की आदत
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[[File:Sandpiper nest with four eggs.jpg|thumb|250px|चार अंडों के साथ टिटहरी का घोसला]]
टिटहरियाँ बाहरी आक्रमण के प्रति निरंतर सजग रहती हैं और ख़तरा भांपते ही शोर मचाती हैं। लाल गलचर्म वाली टिटहरी का शोर सबसे अधिक तेज़ व वेधक होता है। टिटहरियाँ आक्रांता पर झपट पड़ती हैं और विशेष तौर पर घोंसला क़रीब होने पर उनके चारों तरफ उत्तेजित होकर चक्कर लगाती हैं। नवजातों को शिकारियों की नज़र से बचाने के लिए छद्म आवरण में रखा जाता है। किसी भी शिकारी के आने पर माता-पिता चूज़ों को मरने का स्वांग करने का संकेत देते हैं। यही तकनीक [[लोमड़ी]] जैसे अन्य [[पशु]] भी अपनाते हैं। उभरे हुए पंखों वाली टिटहरी के [[मगरमच्छ]] के खुले जबड़े के भीतर प्रवेश करने के प्रसंग विवादास्पद हैं, लेकिन हो सकता है कि ये मगर के दांतों और मसूड़ों से [[जोंक]] निकालती हों, लेकिन इन्हें कभी भी मुंह के भीतर घुसते हुए नहीं देखा गया है और [[मगरमच्छ]] के जबड़ों के पास या भीतर झुका हुआ कम ही पाया गया है। ये चीख़ मारकर [[मगरमच्छ]] को शिकारी के आगमन से आगाह करती है। दलदल और खुले मैदानों के लुप्त होने, चूजों, अंडों को खाए जाने, शिकारी व जाल में फंसाने तथा कीटनाशकों व [[प्रदूषण]] के कारण टिटहरी विलुप्तप्राय प्रजाति बन गई है। टिटहरी के पर्यावास को बचाने के लिए और अन्य जलपक्षियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रेखाकिंत करने के लिए संरक्षणवादी प्रयास कर रहे हैं।
इसके बारे मे सबसे रोचक बात ये हे की ये कभी भी पेड़ पर नहीं बैठती हे
 
== निवास स्थान ==