"माधुरी दीक्षित": अवतरणों में अंतर
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माधुरी दीक्षित ने भारतीय हिन्दी फ़िल्मो मे एक ऐसा मुकाम तय किया है जिसे आज के अभिनेत्रियाँ अपने लिए आदर्श मानती है। ८० और ९० के दशक मे इन्होने स्वयं को हिन्दी सिनेमा मे एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध नृत्यांगना के रूप मे स्थापित किया। उनके लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी। 15 मई 1967 मुंबई में मराठी परिवार में माधुरी दीक्षित का जन्म हुआ। पिता शंकर दीक्षित और माता स्नेह लता दीक्षित की लाडली माधुरी को बचपन से डॉक्टर बनने की चाह थी और शायद यह भी एक वज़ह रही कि माधुरी ने अपना जीवन साथी श्रीराम नेने को चुना जो कि पेशे से एक चिकित्सक हैं। डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से पढने के बाद माधुरी दीक्षित ने मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी की। बचपन से ही उन्हें नृत्य मे रूचि थी जिसके लिए माधुरी ने आठ वर्ष का प्रशिक्षण लिया। सन २००८ मे उन्हे भारत सरकार् के चतुर्थ सर्वोच्च नागारिक सम्मान " पद्मश्री " से सम्मनित किया गया।
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माधुरी दीक्षित हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्री हैं। इन्होंने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत सन १९८४ में " अबोध " नामक चलचित्र से की। किन्तु इन्हे पह्चान १९८८ मे आई फिल्म " तेजाब " से मिली। इसके बाद इन्होंने पीछे मुड कर नही देखा। एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मों के कारवां ने इनको भारतीय सिनेमा की सर्वोच्च अभिनेत्री बनाया : राम लखन (१९८९), परिन्दा (१९८९), त्रिदेव (१९८९), किशन - कन्हैया (१९९०) तथा प्रहार (१९९१)।
वर्ष १९९० मे इनकी फिल्म "[[दिल (फ़िल्म)|दिल]]" आई जिसमें इन्होंने एक अमीर तथा बिगडैल लड़की का किरदार निभाया जो एक साधारण परिवार के लडके से इश्क करती है तथा उससे शादी के लिये अपनों से बगावत करती है। उनके इस किरदार के लिये उन्हे [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार|फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री]] का पुरस्कार मिला।
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