"शरद पवार": अवतरणों में अंतर

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'''दिल्ली की तीसरी फेरी'''
इ. स. १९९६ लोकसभा चुनाव तक पवारजी विधानपरिषद में विरोधी पक्षनेता थे। इ. स.१९९६ लोकसभा चुनाव उन्होंने बारामती से विजय प्राप्त की और फिर राष्ट्रीय राजनीति में आए। जून इ.स. १९९७ में उन्होंने कॉग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सीताराम केसरी के खिलाफ चुनाव लड़ा और पराभूत हुए।
१९९८ में लोकसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव पूर्व रिपब्लिकन पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ एक सहमति से काम करने का फैसला किया। उस चुनाव में उन्होंने ४८ में से ३७ जगहों पर सफलता हासिल की और शिवसेना, भाजपा को सिर्फ १० जगहें मिली। उस समय शरद पवार १२वी लोकसभा मे विरोधी पक्ष नेता बने।
१२ लोकसभा बरखास्त होने के बाद १९९९ में पी ए संगमा व तारिक अनवर के साथ शरद पवार ने एसी मांग की कि १३ लोकसभा में कॉग्रेस पार्टी ने इटली में जन्मी सोनिया गांधी के बजाय भारत में जन्मे कोई भी कॉग्रेसी नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया जाए। कॉग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को लिखे हुए पत्र में इन तीनों ने ऐसी बात की कि उच्च शिक्षा प्राप्त कामियाब और काबिल रहनेवाले अनेक व्यक्ति इस ९८ करोड़ भारतीय देश के बाहर जन्मी किसी भी व्यक्ति का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह प्रश्न देश की सुरक्षा, आर्थिक व्यवहार और भारत की राजनैतिक प्रतिमा से और खास करके भारत की अस्मिता से जुड़ी हुई है।
'''राष्ट्रवादी'''- इ. स. १९९९ जून मध्ये शरद पवार ने राष्ट्रवादी पक्ष की स्थापना की। १९९९ के विधानसभा चुनाव में किसी भी एक पक्ष को बहुमत नहीं मिला। राष्ट्रवादी पक्ष और कांग्रेस पक्ष आपस में मिले और विलासराव देशमुख राज्य के मुख्यमंत्री बने। २०१४ के लोकसभा चुनाव के बाद पवार का राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्ष केन्द्र में मनमोहन सिंग के नेतृत्व में यु.पी.ए सरकार में शामिल हुआ।२२ मई २००४ को शरद पवार ने देश के क्रुषी मंत्री का पद ग्रहण किया।
२९ मई २००९ को उन्होंने क्रुषी, सार्वजनिक वितरण मंत्री की जबाबदारी संभाली। जुलै २०१० को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद का अध्यक्ष पद स्वीकारने के बाद पक्ष कार्य को अधिक समय देने की इच्छा मनमोहन सिंग को व्यक्त करते हुए अपना कार्यभार कम करवाया।