"अनुवाद": अवतरणों में अंतर
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इस स्थिति का औचित्य भी है। आधुनिक युग में हुई औद्योगिक, प्रौद्योगिक, आर्थिक और राजनीतिक क्रान्ति के फलस्वरूप विश्व के राष्ट्रों में एक-दूसरे के निकट सम्पर्क की आवश्यकता की चेतना का अतीव शीघ्र विकास हुआ, उसके कारण अनुवाद को यह महत्त्व मिलना स्वाभाविक माना जाता है। यही कारण है कि यदि प्राचीन युग की प्रेरक शक्ति अनुवादक की व्यक्तिगत रुचि अधिक थी, तो आधुनिक युग में अनुवाद की सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक आवश्यकता एक प्रबल प्रेरक शक्ति बनकर सामने आई है। इस स्थिति के अनेक उदाहरण मिलते हैं। भाषायी अल्पसंख्यक वर्ग के लेखकों की रचनाएँ दूसरी भाषाओं में अनूदित होकर अधिक पढ़ी जाती हैं। अपेक्षाकृत छोटे तथा बहुभाषी राष्ट्रों को अपने देश के भीतर ही विभिन्न भाषाभाषी समुदायों के मध्य सम्पर्क स्थापित करने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
सामाजिक आवश्यकता के अनुरूप अनुवाद के इस महत्त्व के कारण अनुवाद कार्य अब संगठित रूप से होता देखा जाता है। राजनीतिक-आर्थिक कारणों से उत्पन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनुवाद अब एक व्यवसाय बन चुका है तथा व्यक्तिगत होने के साथ-साथ उसका संगठनात्मक रूप भी प्रतिष्ठित होता दिखता है। अनुवाद कौशल को सिखाने के लिए शिक्षा संस्थाओं में प्रबन्ध किए जाते हैं तथा स्वतन्त्र रूप से भी प्रशिक्षण संस्थान काम करते
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