"शरद पवार": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 20:
'''मुख्यमंत्री'''
१८ जुलै १९७८ को शरद पवार राज्य के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने पुलोद नाम की अलायन्स बनाई। जिसमें इंदिरा कॉग्रेस छोडे हुए १२ विधायक, यस कॉग्रेस और जनता पार्टी शामिल थी।उस समय वे सबसे युवा मुख्यमंत्री थे। लेकिन १९८० में इंदिरा गांधी केन्द्र में सत्ता में आने के बाद विरोधी पक्ष की राज्य सरकारे बरखास्त की उसमें महाराष्ट्र की पवार सरकार भी बरखास्त हुई । बरखास्ती के बाद लिए गए विधानसभा चुनाव में कॉग्रेस आए ने २८८ में से १८६ सीटें हासिल की और बैरिस्टर ए.आर अंतुले महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री वाके चुने गए। उस समय शरद पवार विधानसभा के प्रमुख विपक्षी नेता बने।
इ स १९८७ में शरद पवार ने ९ वर्ष के अंतराल के बाद राजीव गांधी की उपस्थिती में औरंगाबाद में फिर से कॉंग्रेस पक्ष में प्रवेश किया।प्रधानमंत्री और कॉग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने शंकर राव चव्हाण कोई केन्द्रीय मंत्रीमडल में अर्थ मंत्री के पद पर नियुक्त किया और शरद पवार को मुख्य मंत्री का पद दिया। २६ जून १९८८ को महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री के रूप में शरद पवार ने मुख्यमंत्री पद की दूसरी बार शपथ ली। अब तक कॉंग्रेस को ज्यादा चुनौतियां नही थी। पर बाळासाहेब ठाकरे के पक्ष ने भाजपा के साथ गठबंधन किया इस कारण अनेक वर्ष अबाधित कॉंग्रेस को चुनौती देने के लिए सुसज्जित हो गया था। उन चुनौतियों का सामना करने के लिए और कॉग्रेस पार्टी का वर्चस्व पूर्ववत रखने की जिम्मेदारी शरद पवार पर सोपीसो सौपी गई। नवंबर इ स १९८९ के लोकसभा चुनाव में कॉग्रेस पार्टी की ४८ में से २८ जगहों पर जीत हुई। पक्ष की राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश इन राज्यों में जैसी अधोगती हुई वैसी महाराष्ट्र राज्य में अधोगती हुई नही। पर १९८४ लोकसभा चुनाव की तुलना में पक्ष ने १५ जगह कम जीती।
'''दिल्ली की तीसरी फेरी'''
इ. स. १९९६ लोकसभा चुनाव तक पवारजी विधानपरिषद में विरोधी पक्षनेता थे। इ. स.१९९६ लोकसभा चुनाव उन्होंने बारामती से विजय प्राप्त की और फिर राष्ट्रीय राजनीति में आए। जून इ.स. १९९७ में उन्होंने कॉग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में सीताराम केसरी के खिलाफ चुनाव लड़ा और पराभूत हुए।