"मार्क्सवाद": अवतरणों में अंतर

Abhishek tyagi
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{{Main|वर्ग संघर्ष}}
मार्क्सवाद मानव सभ्यता और समाज को हमेशा से दो वर्गों -शोषक और शोषित- में विभाजित मानता है।<ref>राजनीति सिद्धांत की रूपरेखा, ओम प्रकाश गाबा, मयूर पेपरबैक्स, २०१०, पृष्ठ-३४३, ISBN:८१-७१९८-०९२-९</ref> माना जाता है साधन संपन्न वर्ग ने हमेशा से उत्पादन के संसाधनों पर अपना अधिकार रखने की कोशिश की तथा बुर्जुआ विचारधारा की आड़ में एक वर्ग को लगातार वंचित बनाकर रखा। शोषित वर्ग को इस षडयंत्र का भान होते ही वर्ग संघर्ष की ज़मीन तैयार हो जाती है। वर्गहीन समाज (साम्यवाद) की स्थापना के लिए वर्ग संघर्ष एक अनिवार्य और निवारणात्मक प्रक्रिया है।<ref>दर्शनकोश, प्रगति प्रकाशन, मास्को, १९८0, पृष्ठ-५७९ ISBN: ५-0१000९0७-२</ref>
{{आधार|अलगाव कि विचारधारा=इसमे पूँजीवाद की तुलना मे सामंतवाद को ठिक बताया गया है .विकि जानी}}
{{आधार}}
 
== सन्दर्भ ==