"निज़ामी गंजवी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Nizami Rug Crop.jpg|अंगूठाकार|निज़ामी]]
'''निज़ामी''' (1141-1209, इलियास यूसफ़ ओग्लु) एक [[फ़ारसी]] तथा [[अज़ेरी]] कवि थे जो ''लैली व मजनूं'' (लैला मजनू) तथा 'सात सुंदरियां' जैसी किताबों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म 12वीं सदी में वर्तमान [[आज़रबैजान]] के [[गंजा]] में हुआ था। इन्होंने बाद के कई फ़ारसी शायरों पर अपना प्रभाव डाला था जिनमें [[हफ़ीज़हाफ़िज़ शिराज़ी]], [[रुमी]] तथा [[अमीर ख़ुसरो]] का नाम भी शामिल है।
 
निज़ामी की प्रसिद्धि पाँच काव्यों के पर आधारित है जो सामूहिक रूप से '''[[खम्सा]]''' (पंचक) के नाम से विख्यात है। यह सामान्य रूप से प्रचलित है कि निज़ामी [[फिरदौसी]] के पश्चात् फारसी का सबसे महान् [[मसनवी]] लेखक हुआ है।<ref>[CHARLES-HENRI DE FOUCHÉCOUR, "IRAN:Classical Persian Literature" in Encyclopædia Iranica</ref> वह अपनी शैली की प्रांजलता, अपने काव्यमय लाक्षणिक चित्रण और अपनी अनेक साहित्यिक सूझों के कौशलमय प्रयोग में अद्वितीय है। इससे उत्तरकालीन अनेक कवियों की स्पर्धा एवं श्लाघा प्रबुद्ध हुई है, जैसे दिल्ली के [[अमीर खुसरो]] और [[बगदाद]] के [[फुज़ूली]] ने इसका उत्तर लिखा है। उनमें से सर्वोत्तम, निस्संदेह रूप से खुसरू का है जिसे पंजगंज भी कहा जाता है। खम्सा पर अनेक भाष्य एवं टिप्पणियाँ लिखी गई हैं, और कविताएँ भिन्न -भिन्न भाषाओं में पूर्णतः या आंशिक रूप से [[अनुवाद|अनूदित]] की गई हैं।