|संगठन = हिदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन-के प्रमुख नेता (१९२८)
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'''शहीद चन्द्रशेखर 'आजाद'''' (२३ जुलाई [[१९०६]] - २७ फ़रवरी [[१९३१]]) ऐतिहासिक दृष्टि से [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम]] के [[स्वतंत्रता सेनानी]] थे। वे शहीद [[राम प्रसाद बिस्मिल]] व शहीद [[भगत सिंह]] सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे।
सन् १९२२ में [[गाँधीजी]] द्वारा [[असहयोग आन्दोलन]] को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने [[राम प्रसाद बिस्मिल]] के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को [[काकोरी काण्ड]] किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए [[हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन|हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन]] का गठन किया तथा [[भगत सिंह]] के साथ लाहौर में [[लाला लाजपत राय]] की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं [[दिल्ली]] पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया था।