"हरदोई": अवतरणों में अंतर

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{{For|या लेख नगर के बारे में है, इसी नाम के जिले|हरदोई जिला}}
{{Infobox Indian Jurisdiction |
| नगर का नाम = हरदोई
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'''हरदोई''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] के [[हरदोईहरदोइ जिला|हरदोईहरदोइ जिले]] की नगरपालिका बोर्ड और नगररियासत है। यह हरदोईहरदोइ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है।
 
== भूगोल ==
हरदोई की भौगोलिक स्थिति {{Coord|27.42|N|80.12|E|}} है।<ref>{{cite web|url=http://www.fallingrain.com/world/IN/36/Hardoi.html |title=Falling Rain Genomics, Inc&nbsp;— Hardoi |publisher=Fallingrain.com |date= |accessdate=2011-11-10}}</ref> इसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई {{convert|134|m|ft}} है। हरदोई [[लखनऊ]] (उत्तर प्रदेश की राजधानी) से 110&nbsp;किमी और [[नई दिल्ली]] (भारत की राजधानी) से 394 किमी दूरी पर स्थित है।
 
हरदोई जिले की पूर्वी सीमा गोमती नदी बनाती है।है उत्तर-पश्चिम में [[शाहजहाँपुर]] से रामगंगा मेंमे मिलने वाली एक छोटी नदी अलग करती है इसके बाद [[रामगंगा]] इसकी दक्षिणी सीमा बनाते हुए संग्रामपुर के पास गंगा मेंमे मिल जाती है और इस प्रकार गंगा इसकी पश्चिमी सीमा बनाती है इसके उत्तर में खीरी लखीमपुर है, दक्षिण में लखनऊ व उन्नाव जिले हैं। वस्तुतः गंगा तथा [[गोमती]] के बीच एक लगभग सम्भुजाकार आकृति बनती है उत्तर -पश्चिम से दक्षिण -पूर्व की अधिकतम दूरी लगभग १२५ किमी और औसत चौड़ाई लगभग ७४ किमी है। हरदोई की एक भौगोलिक विशेषता है इसका विशाल [[ऊसर]] जो जिले के मध्य से रेलवे लाइन के दोनो ओर [[सण्डीला]] से [[शहाबाद]] तक फैलाफ़ैला है हरदोई पूर्णतया समतल है सबसे ऊँचा स्थान गोमती नदी के पास [[ पिहानी]] है जिसकी [[समुद्र तल]] से ऊँचाई 149.35 मीटर (४९० फ़ीट) है।
 
== जनसांख्यिकी ==
भारत की 2011 की [[जनगणना]] के अनुसार,<ref>{{GR|India}}</ref> हरदोई की जनसंख्या 170,314 है जिसमें पुरुष कुल जनसंख्या का 54% और महिलाएँ 46% हैं। 2011 के अनुसार हरदोई की औसत साक्षरता दिवस 68.89% है जो यहाँ की 2001 की दर 51.88% से अधिक एवं वर्तमान राष्ट्रीय साक्षरता दर 74.9% से कम है: पुरुष साक्षरता दर 77% और महिला साक्षरता दर 59% है।<ref>{{cite web|author=ई॰ अशोक शर्मा |url=http://www.census2011.co.in/news/678-hardoi-census-2011-highlights.html |title=Hardoi Census 2011 Highlights &#124; Census 2011 Indian Population |publisher=Census2011.co.in |date=2011-05-19 |accessdate=2011-11-10}}</ref> हरदोई में 13% जनसंख्या 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की है।
 
== =राजनीति ===
हरदोई के सर्वप्रथम सांसद बुलाकी राम वर्मा थे,है जिन्हें १९५२ में चुना गया।{{citation वर्तमान में हरदोई से लोकसभा सांसद जय प्रकाश हैं।<ref>[https://khabar.ndtv.com/elections/uttar-pradesh-lok-sabha-election-results-2019/hardoi/amp/1?akamai-rumneeded|date=offमार्च ]</ref>2013}}
 
== यातायात ==
हरदोई तक पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। लखनऊ से हरदोई तक 110 किमी की यात्रा जो २ घंटोपहुंचने में पूरीकरीब कीढेड़ जाघंटा सकतीलगता है।
हरदोई पुराने अवध -रुहेलखण्ड रेलवे के लखनऊ लाइन पर स्थित है, ,वर्तमान समय में इसे उत्तर रेलवे के रूप में जाना जाता है उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल द्वारा इसका संचालन किया जाता है।है जम्मू-हावड़ा, अमृतसर -हावड़ा, ,उत्तर बिहार अर्थात छ्परा हाजीपुर मुज्जफ़रपुर से होकर जाने वाली मेल एक्स्प्रेस सवारी गाड़ियाँ यहाँ रुककर जाती हैं साथ ही वर्तमान में रेलवे लाइन का विधुतीकरण किया जा चुका है।l सड़क.सड़्क मार्ग से आसपास के सभी जिलों से सीधा जुड़ा है प्रायः सभीप्रायःसभी कस्बे सड़कोंसड़्कों से जुड़े हैं हीहैंही साथ ही गांवोंगावों में भी आवागमन के लिए सड़के हैं।हैं l
 
==नदियाँ और घाट==
 
नदियाँ --हरदोई में बहने वाली नदियाँ गंगा रामगंगा,गर्रा ,सुखेता ,सई ,घरेहरा आदि हैं इन नदियों पर पुराने समय में न होने के कारण निम्न्लिखित घाटों से आवागमन तथा व्यापार होता था
#भट्पुर घाट --गोमती नदी पर --सण्डीला के भटपुर गाँव के पास l
#राजघाट --गोमती नदी पर ---सण्डीला के बेनीगंज के पास लगभग ५किमी ,यह घाट नीमसार से सण्डीला होते हुए लखनऊ को जोड़ता था दूसरा मार्ग कछौना और माधोगंज को जोड़ता था l
#महादेव घाट--सण्डीला तहसील के महुआकोला गाँव के पास --नीमसार को जोडता है l
#हाथीघाट -- गोमती पर-- सण्डीला के कल्यान मल के पास--- मुख्य रूप से कोथावाँ के पास हत्याहरन के मेले के लिये प्रयोग किया जाता था l
#दधनामऊ --गोमती पर हर्दोई के प्रगना गोपामऊ के पास भैंसरी गाँव के पास यह घाट फ़तेह्गढ़ नानपारा तथा सीतापुर को जोड़ता था अब यहाँ सड़क पुल है l
#कोल्हार घाट गोमती नदी -- शाबाद तहसील के कोल्हार गाँव के पास --सड़्क पिहानी होते हुए मोहमम्दी को जाती है l
#राज घाट गर्रा नदी --शहाबाद तहसील में पाली के पास -पाली शहाबाद के बीच l
#राजघाट --गंगा नदी पर -- बिलग्राम तहसील में --फ़त्तेहपुर और फ़रुखाबाद को जोड़्ता था l
#देउसी घाट--गम्भीरी नदी पर बिलग्राम तहसील में l
 
== नदियाँ और घाट ==
नदियाँ --हरदोई में बहने वाली नदियाँ गंगा रामगंगा, गर्रा, सुखेता, सई, घरेहरा आदि हैं इन नदियों पर पुराने समय में न होने के कारण निम्न्लिखित घाटों से आवागमन तथा व्यापार होता था
#भट्पुर घाट --गोमती नदी पर—सण्डीला के भटपुर गाँव के पास l
#राजघाट --गोमती नदी पर ---सण्डीला के बेनीगंज के पास लगभग ५किमी, यह घाट नीमसार से सण्डीला होते हुए लखनऊ को जोड़ता था दूसरा मार्ग कछौना और माधोगंज को जोड़ता था l
#महादेव '''घाट--सण्डीला'''घाट--सण्डीला तहसील के महुआकोला गाँव के पास --नीमसार को जोडता है l
#हाथीघाट -- गोमती पर—सण्डीला के कल्यान मल के पास--- मुख्य रूप से कोथावाँ के पास हत्याहरन के मेले के लिये प्रयोग किया जाता था l
#दधनामऊ—गोमती पर हर्दोई के प्रगना गोपामऊ के पास भैंसरी गाँव के पास यह घाट फ़तेह्गढ़ नानपारा तथा सीतापुर को जोड़ता था अब यहाँ सड़क पुल है l
#कोल्हार घाट गोमती नदी -- शाहाबाद तहसील के कोल्हार गाँव पिहानी - महोली सड़क पर स्थित हैl
#राज घाट गर्रा नदी --शहाबाद तहसील में पाली के पास -पाली शहाबाद के बीच l
#राजघाट --गंगा नदी पर—बिलग्राम तहसील में --फ़त्तेहपुर और फ़रुखाबाद को जोड़्ता था l
#देउसी घाट--गम्भीरी नदी पर बिलग्राम तहसील में l
10-tediya ghat-jugarajpur gawn ke paas hai jo atrouli se lagabhag 14 km ki duri par h.
 
== दंतकथा ==
नारद पुराण के अनुसार दैत्य राज हिरणकश्यप को यह घमंड था कि उससे सर्वश्रेष्ठ दुनिया में कोई नहीं, अतः लोगों को ईश्वर की पूजा करने की बजाय उसकी पूजा करनी चाहिए। पर उसका बेटा प्रहलाद जो कि विष्णु भक्त था, ने हिरणकश्यप की इच्छा के विरूद्ध ईश्वर की पूजा जारी रखी। हिरणकश्यप ने प्रहलाद को प्रताड़ित करने हेतु कभी उसे ऊँचे पहाड़ों से गिरवा दिया, कभी जंगली जानवरों से भरे वन में अकेला छोड़ दिया पर प्रहलाद की ईश्वरीय आस्था टस से मस न हुयी और हर बार वह ईश्वर की कृपा से सुरक्षित बच निकला। अंततः हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसके पास एक जादुई चुनरी थी, जिसे ओढ़ने के बाद अग्नि में भस्म न होने का वरदान प्राप्त था, की गोद में प्रहलाद को चिता में बिठा दिया ताकि प्रह्लादप्रहलाद भस्म हो जाय। पर होनी को कुछ और ही मंजूर था, ईश्वरीय वरदान के गलत प्रयोग के चलते जादुई चुनरी ने उड़कर प्रहलाद को ढक लिया और होलिका जल कर राख हो गयी और प्रहलाद एक बार फिर ईश्वरीय कृपा से सकुशल बच निकला। दुष्ट होलिका की मृत्यु से प्रसन्न नगरवासियों ने उसकी राख को उड़ा-उड़ा कर खुशी का इजहार किया। मान्यता है कि आधुनिक होलिकादहन और उसके बाद अबीर-गुलाल को उड़ाकर खेले जाने वाली होली इसी पौराणिक घटना का स्मृति प्रतीक है।
 
अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु ने मानव के पुण्य के लिए ही बनाया है। पुराणों में उल्लेख है कि जब हिरण कश्यप को वरदान मिला कि वह साल के बारह माह में कभी न मरे तो भगवान ने मलमास की रचना की। जिसके बाद ही नरसिंह अवतार लेकर भगवान ने उसका वध किया।
 
'''हरदोई ''' नाम पड़ापडा है हरि-द्रोही से - अर्थात जो भगवान से द्रोह करता हो। कहते हैं कि हिर्ण्याकश्यप ने अपने नगर का नाम हरि-द्रोही रखवा दिया था। उसके पुत्र ने विदोह किया। पुत्र को दण्ड देने के लिये बहिन होलिका अपने भतीजे को ले कर अग्नि में प्रवेश कर गयी। अपवाद घटा। प्रह्लाद का बाल भी बाँका ना हुआ और होलिका जल मरी।
कहा जाता है कि जिस कुण्ड में होलिका जली थी, वो आज भी श्रवणदेवी नामक स्थल पर हरदोई में स्थित है।
 
जिले का इतिहास महभारत काल में-
कृष्ण के भाई बलराम ब्राह्मणों के साथ पवित्र स्थानों के दर्शन के लिए निकले, ,नीमखार की ओर जाते हुए, ,उन्होने देखा कि कुछ ऋषि पवित्र ग्रन्थों का पाठ सुनने में निमग्न हैं और उनका स्वागत -सत्कार उन्होंने नहीं किया तो बल्राम ने क्रोध वश ऋषि के सिर को कुश नामक घास से काट दिया और फ़िर पश्चाताप से भ्र कर उस स्थान को बिल नाम्क दैत्य से छुट्कारा दिलाया
 
 
पौराणिक आख्यानों के बाद सबसे पहला ऐतिहासिक दस्तावेज मुस्लिम औपनिवेशीकरण का मिलता है--
 
सैय्यद सालार मसूद ने पहला आक्रमण ईस्वी सन १०२८ ईस्वी मेंमे बावन पर किया शेख घोषणा करते हैं कि उन्होंने सन १०१३ में बिलग्राम को जीत लिया पर इम्पीरियल गजेटियर का मानना है कि १२१७ से पहले स्थाई मुस्लिम कब्जा नहीं हो पाया था।था .
.[[अवध के गजेटियर]] के पेज ५५ पर बताया गया है कि१०२८ ईस्वी में सैयद सल्लर ने बावन पर कब्जा कर लिया l इसी के आस पास गोपामऊ को भी जीत लिया गया सैयद मखदूम -उद- उल- अजीज- शेख उर्फ़ लाल पीर कनौज की और से गंगा पार भेजा गया जो[[ गोपामऊ]] की लडाई में मारा गया किन्तु सैयद सल्लर ने दो नुमाइन्दो को यहाँ छोड़ दिया जिन्होंने यहाँ अपना कब्जा बनाने में सफलता प्राप्त की इनका नाम था -नुसरत खान और जफ़र खान l और शेखों के मुताबिक़ १० १३ ईस्वी में बिलग्राम को जीत लियाl इसके बावजूद १२१७ ईसवी तक नियमित रूप से मुस्लिम नियन्त्रण न हो सका इसका अर्थ है कि लगभा २०० वर्षों तक वे यहाँ के निवासियों से लगातार विरोध पाते रहे l
 
सैय्य्द शाकिर ने सबसे पहली जीत गोपामऊ पर हासिल की इसौली पर सैय्यद सालेह ने विजय प्राप्त की
किन्तु साण्डी और सण्डीला पर लम्बे समय तक जीत हासिल न कर पाए
सण्डीला पासी साम्राज्य की राजधानी थी जो गोमती और सई नदियों के दोनों किनारों पर फ़ैला था और जिसका विस्तार लखीमपुर -खीरी के धौरहरा और मितौली तक था इस क्षेत्र के पासी राजपासी कहे जाते हैं
१८८१ की जनगणना में हरदोई में पासियों की जनसंख्या ७२३२६ थी
इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया में बताया गया है कि पासी हरदोई में अभी भी बहुत शक्तिशाली हैं। (year-1881)हैं
 
== आदर्श स्थल ==
 
अंधर्रा का साईं मंदिर -
अंधर्रा में एक विशाल साईं बाबा का मंदिर बना है। यह मंदिर यहाँ के स्थानीय समाजसेवक अजय सिंह आदित्य ने स्थानीय निवासियों की मदद से बनवाया गया है। यहाँ पूजा-पाठ के कार्यक्रम चलते रहते हैं।
 
#माँ कलिका देवी मंदिर : यह मंदिर उत्तर प्रदेश मे हरदोई जिला के रायपुर गाँव के पास है |
प्राकृतिक दृष्टि से यह मंदिर, आदि प्राचीन गोमती (गोमल ) नदी के दाये तट पर स्थित है,जोकि पवित्र तीर्थ नैमिषारण्य से होते हुए लखनऊ की ओर प्रवाहित होती है( नैमिषारण्य तीर्थ की मंदिर से दूरी लगभग 20 km है )
लगभग एक शताब्दी पूर्व से ही नदी के अपने प्रवाह धारा मे परिवर्तन के कारण मंदिर के आस पास का क्षेत्र घाटीनुमा आकर मे परिवर्तित हो गया है उन्ही पहाड़ो को काटकर बीच से निकली गयी सड़क और आस पास जमीन से स्वतः निकलता हुए स्वच्छ जल की धारा मनमोहक और दर्शनीय है |
आस पास के हरे वातावरण और साथ ही साथ पक्षियों की चहचहाहट और शीतल वातावरण मनोरम है |
मान्यता के अनुसार यह मंदिर सच्चे दिल से की गयी कामनाओं की पूर्ती करने वाला है |
स्थानीय लोगो की मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी मे बाबा बाजीराव पेशवा ने एक ऊँची पहाड़ी पर करवाया था,बाद मे इसका नवीकरण कराया गया, जिससे यहां पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की संख्या मे वृध्दि हुई |
मंदिर के पास ही नदी की शीतल जल धारा और हरे भरे पहाड़ तथा घुमावदार सड़क लोगो के मन को लुभाती है |
यहाँ प्रतिवर्ष नवरात्री के अष्टमी के दिन वर्ष मे दो बार एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे बड़ी मात्रा मे लोग आते है |
पर्यटन की दृष्टि से यह उत्तर प्रदेश का बहुत ही अच्छा स्थान है और सुविधा के लिए मंदिर के द्वार तक अच्छी सड़क की सुविधा है |
#पता - उत्तर प्रदेश मे हरदोई जिले के कोथावां ब्लॉक के रायपुर गाँव के पास लगभग 500 मीटर की दूरी पर यह मंदिर स्थित है |
Pin code- 241304
 
बखरिया गांव में माँ कालीजी का मंदिर-
हरदोई के सांडी ब्लाक में स्थित बखरिया गांव में माँ काली जी का मंदिर जो कि अभी निर्माण शील है अत्यधिक सुन्दर बन रहा है। जो कि श्री भारत सिंह जी पूर्व अध्यापक द्वारा बनवाया जा रहा है।. वो बहुत ही देखने योग्य मंदिर है।..
 
श्री बाबा मंदिर-
हरदोई में श्री बाबा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। इस मंदिर के पास एक पुराना टीला भी है, जिसे हिरण्याकश्यप के महल का खंडहर कहा जाता है। इसी के पास श्रवन देवी का मंदिर है।
श्री महेन्द्र नाथ वर्मा द्वारा रचत पुस्तक "हरदोइ (हरिद्वयई)
इसके अतिरिक्त हरदोई से लगभग ३६ किमी दूरी पर स्थित शाहाबाद मे दिलेर शाह का मकबरा भी दर्शनीय स्थल है। हरदोई से करीब 50 किलोमीटर पूर्व की दिशा में हत्‍याहरण तीर्थ है। बताते हैं कि रावण बध के बाद भगवान श्रीराम को ब्राह्मण की हत्‍या का पाप लग गया। इसके लिए राम को देश भर के तीर्थो में स्‍नान करने को कहा गया। हत्‍याहरण तीर्थ में स्‍नान करने के बाद राम को ब्राह़मण हत्‍या के पाप से मुक्ति मिली। इसी घटना के बाद इसका नाम हत्‍याहरण तीर्थ पडा। हत्‍याहरण तीर्थ से करीब 15 किलोमीटर पूर्व में अतरौली थाने के निकट जंगलीशिव तीर्थ स्‍थान है। जहां पर प्रतिमाह अमावश को मेला लगता है। तमाम श्रद्धालु जंगलीशिव तीर्थ में मार्जिन करके रोजाना पुण्‍य कमाते हैं। जंगलीशिव तीर्थ से 5 किलोमीटर पूर्व में भरावन से आगे चलने पर आस्तिक मुनि का प्राचीन मंदिर है। इसी स्‍थान पर आस्तिक मुनि ने कई वर्षो तक तपस्‍या की थी। अतरौली थानाक्षेत्र में ही भगवान बाणेश्‍वर महादेव मंदिर व तीर्थस्‍थान सोनिकपुर स्थित है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्‍व है।
(हरिद्वयई)
 
==शिक्षा==
श्री रामजानकी मंदिर- यह हरदोई मंडी के पास स्थित हरदोई का सबसे मनोहरम् एवं भव्य मंदिर है जो ना कि स्वच्छता बल्कि रखरखाव में भी प्रथम स्थान रखता है दशहरा और धनतेरस को अधिक संख्या में लोग यहा दर्शन करने आते हैं।
हरदोई की तहसील संडीला के कस्‍बा अतरौली में पब्लिक साइंस स्‍कूल स्थित है।
शाहाबाद में दिलेर शाह का मकबरा-
==सन्दर्भ==
हरदोई से लगभग ३६ किमी दूरी पर स्थित शाहाबाद में दिलेर शाह का मकबरा भी दर्शनीय स्थल है। हरदोई से करीब 50 किलोमीटर पूर्व की दिशा में हत्‍याहरण तीर्थ है। बताते हैं कि रावण बध के बाद भगवान श्रीराम को ब्राह्मण की हत्‍या का पाप लग गया। इसके लिए राम को देश भर के तीर्थो में स्‍नान करने को कहा गया। हत्‍याहरण तीर्थ में स्‍नान करने के बाद राम को ब्राह़मण हत्‍या के पाप से मुक्ति मिली। इसी घटना के बाद इसका नाम हत्‍याहरण तीर्थ पडा। हत्‍याहरण तीर्थ से करीब 15 किलोमीटर पूर्व में अतरौली थाने के निकट जंगलीशिव तीर्थ स्‍थान है। जहां पर प्रतिमाह अमावश को मेला लगता है। तमाम श्रद्धालु जंगलीशिव तीर्थ में मार्जिन करके रोजाना पुण्‍य कमाते हैं। जंगलीशिव तीर्थ से 5 किलोमीटर पूर्व में भरावन से आगे चलने पर ग्राम '''खसरौल''' मेें आस्तिक मुनि का प्राचीन मंदिर है। इसी स्‍थान पर आस्तिक मुनि ने कई वर्षो तक तपस्‍या की थी। इस क्षेत्र में इसका बहुत महत्व है। थाना अतरौली में भगवान बाणेश्‍वर महादेव मंदिर व तीर्थस्‍थान सोनिकपुर स्थित है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्‍व है।
 
भुइयेश्वर महादेव मंदिर गोंडवा- ये मंदिर करीब 125 वर्ष पुराना माना जाता है। शारदीय नवरात्रि में अष्टमी को यहां देवी जी की शोभयात्रा का आयोजन किया जाता है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से संरक्षित स्मारक के तौर पर दर्ज है। मंदिर में पूजा अर्चना एवं अन्य कार्य सेवानिवृत्त शिक्षक पंडित वीरेंद्र नाथ शुक्ला की देख रेख में चल रहा है। मंदिर एएसआई की हरदोईमें 13 स्मारकों में से एक है। अतरौली क्षेत्र में स्थित यह मंदिर बाणेश्वर से मात्र 5 किलोमीटर पहले ही स्थित है।
 
ध्यानदास आश्रम - यह आश्रम पिहानी शाहाबाद रोड पर अहेमी से 5 किलोमीटर चन्देली होते हुए जाता है यह एक रमणीक स्थल है अगहन व वैसाख की पूर्णिमा को यहाँ मेला लगता है
 
 
मंसूरापर में प्रसिद्ध प्राचीन राम मंदिर - यह मंसूरापर का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर हरदोई जनपद के मुख्यालय से 34 किलोमीटर की दूरी पर गंगा नदी के तट पर बसे ग्राम मंसूरापर में स्थित हैं यह ग्राम पंचायत मंसूरापर विकासखंड साण्डी तहसील सवायजपुर के अंतर्गत पड़ती हैं।
सावन मास में यहाँ विशेष पूजा अर्चना होती हैं।
 
शिवमंदिर सकाहा:- यह मंदिर प्राचीन काल से ही श्रद्धा का केन्द्र रहा है यहा पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है जहाँ श्रावण मास में मेला लगता है और यहाँ पर आने बाले काबडियों की संख्या में गोला के बाद दूसरा स्थान है यह हरदोई से १५किमी० की दूरी पर हरदोई शाहाबाद,शाहजहाँपुर रोड पर स्थित है।
 
== शिक्षा ==
जिले के अतरौली क्षेत्र में जंगलीशिव तीर्थ स्थित है। जिसका शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। व कस्बा अतरौली में पब्लिक साइंस स्‍कूल स्थित है।
(गीत विद्या मंदिर इंटर कॉलेज) - शाहाबाद की शिक्षा ब्यवस्था में 70 के दसक से गीता विद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। विद्यालय अपनी अनुशाशन एवं संस्कार के लिए दूर दूर तक प्रसिद्ध है। यहाँ के students India में ही नहीं देश विदेश में भी विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं।{{cn}}
हरदाेई के सण्‍डीला तहसील के कामिपुर बेंहंदर जैसे स्‍थानों पर संन्‍तोष कुमार इंटर कॉलेज और पास में ही सरस्‍वती हायर सेंकन्‍डरी स्‍कूल है जो वर्तमान में शिक्षा के क्षेत्र में अपना बहुमूल्‍य योगदान दे रहे हैं। वहीं माडर रोड पे कासिमपुर बेहंदर से मात्र 2.5 किलो दूर ग्राम र‍िठवे में एक नये स्‍कूल का उद् घान हुआ है, जो गांंव ही नहीं वरन आस पास के गावों के बच्‍चों एवं अभिभावकों को अपनी योग्‍य शिक्षा से सभी काेे लुभा रहा है। इससेे गांंव में ही स्थिति प्राइमरी पाठशाला र‍िठवे जो एक सरकारी स्‍कूल है जिसमें बच्‍चें पढने के इच्‍छुक ही नहीं है
इसी के साथ बताते चले कि प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए नगर शाहाबाद में मात्र २१ वर्ष की आयु में २१ अप्रैल सन २०१० को श्री महेंद्र कुमार द्वारा '''लक्ष्य ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन''' की नीव डाली गयी जोकि आज भी सुचारू रूप से चल रहा है जिसमे कंप्यूटर ट्रेनिंग एवं अन्य वोकेशनल कोर्सेस सिलाई कढाई ब्यूटी पार्लर व् अकादमिक क्लासेज भी संचालित हो रहे हैं यह संसथान उत्तर प्रदेश सरकार एवं भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड है। .<ref>{{cite web|url=https://www.google.co.in/maps?client=firefox-b-ab&biw=1366&bih=657&q=lakshya+group+of+education+shahabad&bav=on.2,or.&bvm=bv.148747831,d.dGo&um=1&ie=UTF-8&sa=X&ved=0ahUKEwj3ssjNy73SAhXGUZQKHZL2AIQQ_AUIBygC|website=google}}</ref>
 
हरदोई शहर के कुछ जाने माने महाविद्यालय-{{cn}}
 
# गॉटरमेंट इंटर महाविद्यालय
# एस॰ डी॰ इंटर महाविद्यालय
# सी॰ एस॰ एन॰ डिग्री कॉलेज
# महाराणा प्रताप गवर्मेन्ट डिग्री कॉलेज
 
हरदोई के प्रमुख इंटर कॉलेज-
# गवर्मेन्ट इंटर कॉलेज, हरदोई
# आरo आरo इण्टर कॉलेज
# सेंट जेवियर्स मोंटेसरी हाउस ऑफ चिल्ड्रेन
# बी वी बी
# जी आई सी टड़ियावां
# गाँधी इंटर कॉलेज, बेनीगंज
 
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
 
== बाहरी कड़ियाँ==
* {{official|http://hardoi.nic.in}}
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के शहर]]
 
{{हरदोइ जिला}}
 
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के नगर]]
[[श्रेणी:हरदोई ज़िला]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/हरदोई" से प्राप्त