"हरदोई": अवतरणों में अंतर
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{{Infobox Indian Jurisdiction |
| नगर का नाम = हरदोई
| प्रकार = जिला
| latd = 27.42
| longd= 80.12
| प्रदेश = उत्तर प्रदेश
| जिला
| शासक पद = [[महापौर]]
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}}
'''हरदोई''' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] के [[
== भूगोल ==
हरदोई की भौगोलिक स्थिति {{Coord|27.42|N|80.12|E|}} है।<ref>{{cite web|url=http://www.fallingrain.com/world/IN/36/Hardoi.html |title=Falling Rain Genomics, Inc — Hardoi |publisher=Fallingrain.com |date= |accessdate=2011-11-10}}</ref> इसकी समुद्र तल से औसत ऊँचाई {{convert|134|m|ft}} है। हरदोई [[लखनऊ]] (उत्तर प्रदेश की राजधानी) से 110 किमी और [[नई दिल्ली]] (भारत की राजधानी) से 394 किमी दूरी पर स्थित है।
हरदोई जिले की पूर्वी सीमा गोमती नदी बनाती
== जनसांख्यिकी ==
भारत की 2011 की [[जनगणना]] के अनुसार,<ref>{{GR|India}}</ref> हरदोई की जनसंख्या 170,314 है जिसमें पुरुष कुल जनसंख्या का 54% और महिलाएँ 46% हैं। 2011 के अनुसार हरदोई की औसत साक्षरता दिवस 68.89% है जो यहाँ की 2001 की दर 51.88% से अधिक एवं वर्तमान राष्ट्रीय साक्षरता दर 74.9% से कम है: पुरुष साक्षरता दर 77% और महिला साक्षरता दर 59% है।<ref>{{cite web|author=ई॰ अशोक शर्मा |url=http://www.census2011.co.in/news/678-hardoi-census-2011-highlights.html |title=Hardoi Census 2011 Highlights | Census 2011 Indian Population |publisher=Census2011.co.in |date=2011-05-19 |accessdate=2011-11-10}}</ref> हरदोई में 13% जनसंख्या 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की है।
==
हरदोई के सर्वप्रथम सांसद बुलाकी राम वर्मा
== यातायात ==
हरदोई तक पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। लखनऊ से हरदोई तक
हरदोई पुराने अवध -रुहेलखण्ड रेलवे के लखनऊ लाइन पर स्थित है ==नदियाँ और घाट==
नदियाँ --हरदोई में बहने वाली नदियाँ गंगा रामगंगा,गर्रा ,सुखेता ,सई ,घरेहरा आदि हैं इन नदियों पर पुराने समय में न होने के कारण निम्न्लिखित घाटों से आवागमन तथा व्यापार होता था
#भट्पुर घाट --गोमती नदी पर --सण्डीला के भटपुर गाँव के पास l
#राजघाट --गोमती नदी पर ---सण्डीला के बेनीगंज के पास लगभग ५किमी ,यह घाट नीमसार से सण्डीला होते हुए लखनऊ को जोड़ता था दूसरा मार्ग कछौना और माधोगंज को जोड़ता था l
#महादेव घाट--सण्डीला तहसील के महुआकोला गाँव के पास --नीमसार को जोडता है l
#हाथीघाट -- गोमती पर-- सण्डीला के कल्यान मल के पास--- मुख्य रूप से कोथावाँ के पास हत्याहरन के मेले के लिये प्रयोग किया जाता था l
#दधनामऊ --गोमती पर हर्दोई के प्रगना गोपामऊ के पास भैंसरी गाँव के पास यह घाट फ़तेह्गढ़ नानपारा तथा सीतापुर को जोड़ता था अब यहाँ सड़क पुल है l
#कोल्हार घाट गोमती नदी -- शाबाद तहसील के कोल्हार गाँव के पास --सड़्क पिहानी होते हुए मोहमम्दी को जाती है l
#राज घाट गर्रा नदी --शहाबाद तहसील में पाली के पास -पाली शहाबाद के बीच l
#राजघाट --गंगा नदी पर -- बिलग्राम तहसील में --फ़त्तेहपुर और फ़रुखाबाद को जोड़्ता था l
#देउसी घाट--गम्भीरी नदी पर बिलग्राम तहसील में l
== दंतकथा ==
नारद पुराण के अनुसार दैत्य राज हिरणकश्यप को यह घमंड था कि उससे सर्वश्रेष्ठ दुनिया में कोई नहीं, अतः लोगों को ईश्वर की पूजा करने की बजाय उसकी पूजा करनी चाहिए। पर उसका बेटा प्रहलाद जो कि विष्णु भक्त था, ने हिरणकश्यप की इच्छा के विरूद्ध ईश्वर की पूजा जारी रखी। हिरणकश्यप ने प्रहलाद को प्रताड़ित करने हेतु कभी उसे ऊँचे पहाड़ों से गिरवा दिया, कभी जंगली जानवरों से भरे वन में अकेला छोड़ दिया पर प्रहलाद की ईश्वरीय आस्था टस से मस न हुयी और हर बार वह ईश्वर की कृपा से सुरक्षित बच निकला। अंततः हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसके पास एक जादुई चुनरी थी, जिसे ओढ़ने के बाद अग्नि में भस्म न होने का वरदान प्राप्त था, की गोद में प्रहलाद को चिता में बिठा दिया ताकि
अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास भगवान विष्णु ने मानव के पुण्य के लिए ही बनाया है। पुराणों में उल्लेख है कि जब हिरण कश्यप को वरदान मिला कि वह साल के बारह माह में कभी न मरे तो भगवान ने मलमास की रचना की। जिसके बाद ही नरसिंह अवतार लेकर भगवान ने उसका वध किया।
'''हरदोई ''' नाम
कहा जाता है कि जिस कुण्ड में होलिका जली थी, वो आज भी श्रवणदेवी नामक स्थल पर हरदोई में स्थित है।
जिले का इतिहास महभारत काल में-
कृष्ण के भाई बलराम ब्राह्मणों के साथ पवित्र स्थानों के दर्शन के लिए निकले
पौराणिक आख्यानों के बाद सबसे पहला ऐतिहासिक दस्तावेज मुस्लिम औपनिवेशीकरण का मिलता है--
सैय्यद सालार मसूद ने पहला आक्रमण ईस्वी सन १०२८ ईस्वी
.[[अवध के गजेटियर]] के पेज ५५ पर बताया गया है कि१०२८ ईस्वी में सैयद सल्लर ने बावन पर कब्जा कर लिया l इसी के आस पास गोपामऊ को भी जीत लिया गया सैयद मखदूम -उद- उल- अजीज- शेख उर्फ़ लाल पीर कनौज की और से गंगा पार भेजा गया जो[[ गोपामऊ]] की लडाई में मारा गया किन्तु सैयद सल्लर ने दो नुमाइन्दो को यहाँ छोड़ दिया जिन्होंने यहाँ अपना कब्जा बनाने में सफलता प्राप्त की इनका नाम था -नुसरत खान और जफ़र खान l और शेखों के मुताबिक़ १० १३ ईस्वी में बिलग्राम को जीत लियाl इसके बावजूद १२१७ ईसवी तक नियमित रूप से मुस्लिम नियन्त्रण न हो सका इसका अर्थ है कि लगभा २०० वर्षों तक वे यहाँ के निवासियों से लगातार विरोध पाते रहे l
सैय्य्द शाकिर ने सबसे पहली जीत गोपामऊ पर हासिल की इसौली पर सैय्यद सालेह ने विजय प्राप्त की
किन्तु साण्डी और सण्डीला पर लम्बे समय तक जीत हासिल न कर पाए सण्डीला पासी साम्राज्य की राजधानी थी जो गोमती और सई नदियों के दोनों किनारों पर फ़ैला था और जिसका विस्तार लखीमपुर -खीरी के धौरहरा और मितौली तक था इस क्षेत्र के पासी राजपासी कहे जाते हैं १८८१ की जनगणना में हरदोई में पासियों की जनसंख्या ७२३२६ थी इम्पीरियल गजेटियर आफ़ इण्डिया में बताया गया है कि पासी हरदोई में अभी भी बहुत शक्तिशाली == आदर्श स्थल ==
हरदोई में श्री बाबा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। इस मंदिर के पास एक पुराना टीला भी है, जिसे हिरण्याकश्यप के महल का खंडहर कहा जाता है। इसी के पास श्रवन देवी का मंदिर है।
श्री महेन्द्र नाथ वर्मा द्वारा रचत पुस्तक "हरदोइ (हरिद्वयई)
इसके अतिरिक्त हरदोई से लगभग ३६ किमी दूरी पर स्थित शाहाबाद मे दिलेर शाह का मकबरा भी दर्शनीय स्थल है। हरदोई से करीब 50 किलोमीटर पूर्व की दिशा में हत्याहरण तीर्थ है। बताते हैं कि रावण बध के बाद भगवान श्रीराम को ब्राह्मण की हत्या का पाप लग गया। इसके लिए राम को देश भर के तीर्थो में स्नान करने को कहा गया। हत्याहरण तीर्थ में स्नान करने के बाद राम को ब्राह़मण हत्या के पाप से मुक्ति मिली। इसी घटना के बाद इसका नाम हत्याहरण तीर्थ पडा। हत्याहरण तीर्थ से करीब 15 किलोमीटर पूर्व में अतरौली थाने के निकट जंगलीशिव तीर्थ स्थान है। जहां पर प्रतिमाह अमावश को मेला लगता है। तमाम श्रद्धालु जंगलीशिव तीर्थ में मार्जिन करके रोजाना पुण्य कमाते हैं। जंगलीशिव तीर्थ से 5 किलोमीटर पूर्व में भरावन से आगे चलने पर आस्तिक मुनि का प्राचीन मंदिर है। इसी स्थान पर आस्तिक मुनि ने कई वर्षो तक तपस्या की थी। अतरौली थानाक्षेत्र में ही भगवान बाणेश्वर महादेव मंदिर व तीर्थस्थान सोनिकपुर स्थित है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है।
==शिक्षा==
हरदोई की तहसील संडीला के कस्बा अतरौली में पब्लिक साइंस स्कूल स्थित है।
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
* {{official|http://hardoi.nic.in}}
[[श्रेणी:उत्तर प्रदेश के शहर]]
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