"जैवप्रतिरोधी": अवतरणों में अंतर

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'''जैवप्रतिरोधी''' (Antibiotic/एण्टीबायोटिक) सूक्ष्मजीवों के द्वितीयक उपापचयउपापचयी पदार्थ हैं, जो कि अन्य सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने अथवा उनकी वृद्धि को अवरोधित करने की क्षमता रखते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रतिजैविक (Antibiotic) एक प्रकार के रसायनिक पदार्थ हैं, जिनका निर्माण कुछ सूक्ष्मजीवियों द्वारा होता है। जैवप्रतिरोधी रसायन अन्य (रोग उत्पन्न करने वाले) सूक्ष्मजीवियों, प्रमुखतः बैक्टीरिया की वृद्धि को मंदसन्दमित कर सकते अथवा उन्हें मार सकते हैं। [[पैनीसीलिन]] सामान्य रूप से प्रयोग में लाया जाने वाला ऐंटीबायोटिक है। इसे एक फंगस से प्राप्त किया गया था। बाद में बैक्टीरिया विशेष रूप से स्ट्रेप्टोमायसिस से अनेक महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स प्राप्त की गईं।
 
[[सूक्ष्मजीव|सूक्ष्मजीवों]] की सहायता से जैवरोधी रसायन के उत्पादन की खोज 20वीं शताब्दी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण खोज और मानव समाज के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी उपलधिउपलब्धि मानी जाती है।
कैसे कार्य करते हैं एंटीबायोटिक?
एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के जैव रासायनिक पथ में अवरोध उत्पन्न कर उनका गुणन रोक देते हैं। अधिकांश एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति का संश्लेषण रोक देते हैं। कुछ इनके प्रोटीन संश्लेषण को बाधित करते हैं, जबकि कुछ बैक्टीरिया के नाभिकीय अम्ल का गुणन रोकते हैं। पेनिसिलिन व सिफैलोस्पोरिन एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति का बनना बाधित कर देते हैं।
कुछ एंटीबायोटिक्स केवल कुछ रोगाणुओं अर्थात pathogens के विरुद्ध कारगर होते हैं। इन्हें सीमित परास एंटीबायोटिक्स या नैरो स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स कहा जाता है। व्यापक परास एंटीबायोटिक्स या ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स विभिन्न प्रकार के रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। अमोक्सिसिलीन सी वी, व नई पीढ़ी की सिफैलोस्पोरिन ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स हैं।
 
==परिचय==