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सांख्यिकीय तरीकों को डेटा के संग्रह के संग्रहण अथवा वर्णन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे '''[[वर्णनात्मक सांख्यिकी]]''' (descriptive statistics) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, डेटा में पैटर्न को इस तरह से [[गणितीय मॉडल|मॉडल]] किया जा सकता है कि वह निष्कर्षों की यादृच्छिकता और अनिश्चितता का कारण बने और फिर इस प्रक्रिया को उस विधि, या जिस जनसंख्या का अध्ययन किया जा रहा हो, उसके बारे में [[अनुमान]] लगाने के लिए किया जाता है। इसे '''[[आनुमानिक सांख्यिकी|अनुमानित सांख्यिकी]]''' (inferential statistics) कहा जाता है। वर्णनात्मक तथा अनुमानित सांख्यिकी, दोनों में '''व्यावहारिक सांख्यिकी''' सम्मिलित है। एक और विद्या है - '''[[गणितीय सांख्यिकी]]''' (mathematical statistics), जो विषय के सैद्धान्तिक आधार से सम्बन्ध रखती है। आप किरण किसी श्रेणी में पदों के बेकरार को प्रदर्शित करता है जबकि विषमता का संबंध उसकी आकृति की विशिष्टताओं से होता है अन्य शब्दों में अवकरण हमें श्रेणी की संरचना के बारे में बताता है जबकि विषमता हमें वक्र की आकृति के बारे में बताता है अपकिरण हमें श्रेणी के पदों के मानक रूप में स्वीकृत अन्य किसी पद के व्यक्तिगत अंतरों की ओर संकेत करता है विषमता विचलनों की दशा की ओर संकेत करता है अब करण द्वितीय श्रेणी के माध्यम पर आधारित है
 
== परिचय ==
== घर
सांख्यिकी (Statistics) सभ्यता की गति में अंकों का योगदान बड़ा ही महत्वपूर्ण रहा है और अंक पद्धति के विकास का बहुत बड़ा श्रेय [[भारत]] को प्राप्त है। मनुष्य के ज्ञान की प्रत्येक शाखा अंकों की ऋणी है।
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सांख्यिकी का विज्ञान भी बहुत कुछ काम अंकों से लेता है, जिन्हें "आँकड़े" कहते हैं, परंतु इन अंकों के कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं। स्टैटिस्टिक्स शब्द की व्युत्पत्ति का पता लगाते समय इसके नाम में आज तक हुए अनेक क्रांतिकारी परिवर्तनों को जानकर आश्चर्य होता है। प्राचीन काल में राज्यों के तुलनात्मक वर्णन के लिए स्टैटिस्टिक्स शब्द का प्रयोग होता था, जिसमें अंकों या आँकड़ों का कोई स्थान ही नहीं होता था। स्टैटिस्टिक्स शब्द का मूल [[लैटिन]] शब्द स्टैटस ([[इतालवी भाषा]] "स्टैटी", जर्मन "स्टैटिस्टिक्स"") है, जिसका अर्थ है 'राजनीतिक राज्य'। 18वीं शती तक इस शब्द का अर्थ किसी राज्य की विशेषताओं का विवरण था। अतएव कुछ प्राचीन लेखकों ने स्टैटिस्टिक्स को राज्य विज्ञान के नाम से निरूपित किया है। क्रमश: इस शब्द को मात्रात्मक सार्थकता प्राप्त हुई और दो विभिन्न अर्थों में इसका प्रयोग चलता रहा। एक ओर यह अंकों से निरूपित "जन्म और मृत्यु आँकड़े" जैसे तथ्यों से और दूसरी ओर अंकात्मक आँकड़ों से उपयोगी निष्कर्ष निकालने के विधि निकाय, अर्थात् विज्ञान से संबंधित था। 19वीं शती के अंतिम काल से हमें "उज्ज्वल, सामान्य, मद" आदि शीर्षकों में बच्चों की सांख्यिकी जैसे विवरण मिलते हैं, जिनसे इस ज्ञान शाखा की परिमाणोन्मुखता (quantitative direction) स्पष्ट होती है।
एक ग्राफ जिसमें सामान्य वितरण (Normal distribution) प्रदर्शित है।
सांख्यिकी, गणित की वह शाखा है जिसमें आँकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और उसके गुणों का आकलन का अध्ययन किया जाता है।
 
सांख्यिकी एक गणितीय विज्ञान है जिसमें किसी वस्तु/अवयव/तंत्र/समुदाय से सम्बन्धित आकड़ों का संग्रह, विश्लेषण, व्याख्या या स्पष्टीकरण और प्रस्तुति की जाती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में लागू है - अकादमिक अनुशासन (academic disciplines), इस से प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, सरकार और व्यापार आदि।
 
सांख्यिकीय तरीकों को डेटा के संग्रह के संग्रहण अथवा वर्णन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे वर्णनात्मक सांख्यिकी (descriptive statistics) कहा जाता है। इसके अतिरिक्त, डेटा में पैटर्न को इस तरह से मॉडल किया जा सकता है कि वह निष्कर्षों की यादृच्छिकता और अनिश्चितता का कारण बने और फिर इस प्रक्रिया को उस विधि, या जिस जनसंख्या का अध्ययन किया जा रहा हो, उसके बारे में अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। इसे अनुमानित सांख्यिकी (inferential statistics) कहा जाता है। वर्णनात्मक तथा अनुमानित सांख्यिकी, दोनों में व्यावहारिक सांख्यिकी सम्मिलित है। एक और विद्या है - गणितीय सांख्यिकी (mathematical statistics), जो विषय के सैद्धान्तिक आधार से सम्बन्ध रखती है। आप किरण किसी श्रेणी में पदों के बेकरार को प्रदर्शित करता है जबकि विषमता का संबंध उसकी आकृति की विशिष्टताओं से होता है अन्य शब्दों में अवकरण हमें श्रेणी की संरचना के बारे में बताता है जबकि विषमता हमें वक्र की आकृति के बारे में बताता है अपकिरण हमें श्रेणी के पदों के मानक रूप में स्वीकृत अन्य किसी पद के व्यक्तिगत अंतरों की ओर संकेत करता है विषमता विचलनों की दशा की ओर संकेत करता है अब करण द्वितीय श्रेणी के माध्यम पर आधारित है
 
परिचय संपादित करें
 
सांख्यिकी (Statistics) सभ्यता की गति में अंकों का योगदान बड़ा ही महत्वपूर्ण रहा है और अंक पद्धति के विकास का बहुत बड़ा श्रेय भारत को प्राप्त है। मनुष्य के ज्ञान की प्रत्येक शाखा अंकों की ऋणी है।
 
सांख्यिकी का विज्ञान भी बहुत कुछ काम अंकों से लेता है, जिन्हें "आँकड़े" कहते हैं, परंतु इन अंकों के कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं। स्टैटिस्टिक्स शब्द की व्युत्पत्ति का पता लगाते समय इसके नाम में आज तक हुए अनेक क्रांतिकारी परिवर्तनों को जानकर आश्चर्य होता है। प्राचीन काल में राज्यों के तुलनात्मक वर्णन के लिए स्टैटिस्टिक्स शब्द का प्रयोग होता था, जिसमें अंकों या आँकड़ों का कोई स्थान ही नहीं होता था। स्टैटिस्टिक्स शब्द का मूल लैटिन शब्द स्टैटस (इतालवी भाषा "स्टैटी", जर्मन "स्टैटिस्टिक्स"") है, जिसका अर्थ है 'राजनीतिक राज्य'। 18वीं शती तक इस शब्द का अर्थ किसी राज्य की विशेषताओं का विवरण था। अतएव कुछ प्राचीन लेखकों ने स्टैटिस्टिक्स को राज्य विज्ञान के नाम से निरूपित किया है। क्रमश: इस शब्द को मात्रात्मक सार्थकता प्राप्त हुई और दो विभिन्न अर्थों में इसका प्रयोग चलता रहा। एक ओर यह अंकों से निरूपित "जन्म और मृत्यु आँकड़े" जैसे तथ्यों से और दूसरी ओर अंकात्मक आँकड़ों से उपयोगी निष्कर्ष निकालने के विधि निकाय, अर्थात् विज्ञान से संबंधित था। 19वीं शती के अंतिम काल से हमें "उज्ज्वल, सामान्य, मद" आदि शीर्षकों में बच्चों की सांख्यिकी जैसे विवरण मिलते हैं, जिनसे इस ज्ञान शाखा की परिमाणोन्मुखता (quantitative direction) स्पष्ट होती है।
 
इस प्रकार हम देखते हैं कि वैज्ञानिक पद्धति की विशिष्ट शाखा के रूप में सांख्यिकी का सिद्धांत अपेक्षाकृत अभिनव उपज है। इसका मूल रूप लाप्लास और गाउस की कृतियों में ढूँढ़ा जा सकता है, लेकिन इसका अध्ययन 19वीं शती के चौथे चरण में जाकर समृद्ध हुआ। गाल्टन और कार्ल पियर्सन के प्रभाव से इस विज्ञान में विलक्षण प्रगति हुई और आगामी तीन दशकों में इस विज्ञान की आधार शिलाएँ सदृढ़ हो गईं। यह कह देना उचित है कि दिन-दिन नए नए क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले इस विषय की इमारत अभी तेजी से बनन की स्थिति में है। शोध कार्य, वह भी विशेषत: सांख्यिकी के गणितीय सिद्धांत में, ऐसी तेजी से हो रहा है और नए तथ्य ऐसी तीव्र गति से सामने आ रहे हैं कि उन सबकी जानकारी रखना भी कठिन हो रहा है। मानव ज्ञान और क्रिया के विविध क्षेत्रों में इस विषय की प्रयुक्ति दिन-दिन बढ़ रही है और बड़ी उपयोगी सिद्ध हो रही है।
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भविष्य में सांख्यिकी का और भी व्यापक प्रसार संभव है। कुछ विषयों के लिए यह मौलिक महत्व के विचार और कुछ के लिए अनुसंधान की शक्तिशाली विधियाँ, प्रदान करती है। बिना विषय खंडन की आशंका के कहा जा सकता है कि सांख्यिकी सर्वव्यापी विषय बनता जा रहा है।
 
सांख्यिकीय पद्धतियां
 
विशिष्ट विषय
 
दुरुपयोग
 
इन्हें भी देखें
 
बाहरी कड़ियाँ
 
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