"बाड़मेर": अवतरणों में अंतर

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→‎मल्लीनाथ मेला: मलिनाथ का जन्म माता रानिदे के घर पर 1358 को हुआ था बाड़मेर का परगने का नाम मालानी इन्हीं के नाम पर रखा गया तिलवाड़ा के पास में ही मालाजाल के पास में मलीनाथ की पत्नी रूपादे का मंदिर है मलीनथ के गुरु का नाम उगमसी भाटी थे
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=== मल्लीनाथ मेला ===
तिलवाड़ा में आयोजित होने वाला पशुमेला राज्य का तीसरा बड़ा मेला है। पुष्कर, नागौर के बाद यह राजस्थान का तीसरा बड़ा पशु मेला है जहाँ आने वाले पशुओं की तादात लाखो में होती है।राठौड़ राजवंश के रावल रावल मल्लीनाथ के नाम पर मल्लीनाथ मेला राजस्थान के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है। यह बाड़मेर जिले के तिलवाडा गांव में चैत्र बुदी एकादशी से चैत्र सुदी एकादशी (मार्च-अप्रैल) में आयोजित किया जाता है। इस मेले में उच्च प्रजाति के गाय, ऊंटों, बकरी और घोडों की बिक्री के लिए लाया जाता है। इस मेले में भाग लेने के लिए सिर्फ गुजरात से ही नहीं बल्कि गुजरात और मध्य प्रदेश से भी लोग आते हैं। इस मेले का विशेष तौर पर पशु व्यापारी प्रतिक्षा करते हैं। मलिनाथ का जन्म माता रानिदे के घर पर 1358 को हुआ था बाड़मेर का परगने का नाम मालानी इन्हीं के नाम पर रखा गया तिलवाड़ा के पास में ही मालाजाल के पास में मलीनाथ की पत्नी रूपादे का मंदिर है मलीनथ के गुरु का नाम उगमसी भाटी थे
 
=== मेवा नगर नाकोड़ा ===