"प्रतिऑक्सीकारक": अवतरणों में अंतर

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यद्यपि आक्सीकरण अभिक्रियाएँ जीवन के लिए अति महत्वपूर्णन हैं, वे हानिकारक भी हो सकती हैं। ऑक्सीकरण अभिक्रिया से मुक्तमूलक उत्पन्न हो सकते हैं, जिनके द्वारा [[कोशिकाओं]] को क्षति पहुंचाने वाली [[शृंखला अभिक्रिया]] आरंभ हो जाती है। प्रतिआक्सीकारक पदार्थ स्वयं इन मुक्त मूलकों से ऑक्सीकृत हो जाते हैं (अर्थात् मुक्त मूलकों को 'खा जाते' हैं) जिससे शृंखला अभिक्रिया को तोड़ने में मदद मिलती है। कर कोशिकाओं पर होने वाली इन शृंखला अभिक्रियाओं को रोक देते हैं। अतएव प्रायः एंटीऑक्सीडेंट रिड्यूसिंग एजेंट्स होते हैं, जैसे थायोल, एस्कॉर्बिक अम्ल या पॉलीफिनॉल आदि।
 
पादपों एवं जन्तुओं में विविध प्रकार के प्रतिआक्सीकारकों के निर्माण एवं संग्रह की जटिल व्यवस्था पायी जाती है। इनमें बीटा कैरोटीन ग्लुटाथिओन, (glutathione), विटामिन-सी, विटामिन-ई, [[एंजाइम]] (जैसे कैटालेज, सुपराक्साइड, डिस्मुटेज तथा विविध प्रकार के पेराक्सीडेज आदि) आदि आते हैं। प्रतिआक्सीकारकों की अपर्याप्त मात्रा होने पर या प्रतिआक्सीकारक एंजाइमों के नष्ट होने से आक्सीकर तनाव (oxidative stress) पैदा होता है जिससे कोशिकाओं को क्षति हो सकती है या उनकी मृत्यु हो सकती है।
 
ऐसा समझा जा रहा है कि आक्सीकर तनाव ही अनेकों रोगों का कारण है। इसलिए [[भेषजगुणविज्ञान]] (फार्माकोलोजी) में प्रतिआक्सीकारकों का गहन अध्ययन किया जाता है विशेषतः आघात तथा तंत्रिका-अपभ्रष्टी (neurodegenerative) रोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हैं। आक्सीकर तनाव रोगों का कारण भी है और परिणाम भी।