"लालबहादुर शास्त्री": अवतरणों में अंतर

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[[ताशकन्द|ताशकन्द समझौते]] पर हस्ताक्षर करने के बाद उसी रात उनकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया। शास्त्रीजी की [[अंत्येष्टि|अन्त्येष्टि]] पूरे राजकीय सम्मान के साथ शान्तिवन (नेहरू जी की समाधि) के आगे [[यमुना]] किनारे की गयी और उस स्थल को [[विजय घाट]] नाम दिया गया। जब तक कांग्रेस संसदीय दल ने [[इंदिरा गांधी|इन्दिरा गान्धी]] को शास्त्री का विधिवत उत्तराधिकारी नहीं चुन लिया, [[गुलजारीलाल नंदा|गुलजारी लाल नन्दा]] कार्यवाहक प्रधानमन्त्री रहे।<ref name="IPD">{{cite book|title=Indian Parliamentary Democracy|pages=121|author=U.N. Gupta|publisher=Atlantic Publishers & Distributors|year=2003|isbn=8126901934}}</ref>
 
शास्त्रीजी की मृत्यु को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाते रहे। बहुतेरे लोगों का, जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं, मतमानते है कि शास्त्रीजी की मृत्यु हार्ट अटैक से नहीं बल्कि जहर देने से ही हुई।<ref name="hindustan_times_july11_2009"/> पहली इन्क्वायरी राज नारायण ने करवायी थी, जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गयी ऐसा बताया गया। मजे की बात यह कि इण्डियन पार्लियामेण्ट्री लाइब्रेरी में आज उसका कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है।<ref name="outlookindia.com">http://www.outlookindia.com/article.aspx?281537</ref> यह भी आरोप लगाया गया कि शास्त्रीजी का पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ। 2009 में जब यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार की ओर से यह जबाव दिया गया कि शास्त्रीजी के प्राइवेट डॉक्टर आर०एन०चुघ और कुछ रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जाँच तो की थी परन्तु सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में प्रधानमन्त्री कार्यालय से जब इसकी जानकारी माँगी गयी तो उसने भी अपनी मजबूरी जतायी।<ref name="hindustan_times_july11_2009"/>
शास्त्रीजी की मौत में संभावित साजिश की पूरी पोल आउटलुक नाम की एक पत्रिका ने खोली।<ref name="outlookindia.com"/><ref name="outlookindia.com"/> 2009 में, जब ''साउथ एशिया पर सीआईए की नज़र'' ([[अंग्रेजी]]: CIA's Eye on South Asia) नामक पुस्तक के लेखक अनुज धर ने [[सूचना|सूचना के अधिकार]] के तहत माँगी गयी जानकारी पर प्रधानमन्त्री कार्यालय की ओर से यह कहना कि "शास्त्रीजी की मृत्यु के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से हमारे देश के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध खराब हो सकते हैं तथा इस रहस्य पर से पर्दा उठते ही देश में उथल-पुथल मचने के अलावा संसदीय विशेषधिकारों को ठेस भी पहुँच सकती है। ये तमाम कारण हैं जिससे इस सवाल का जबाव नहीं दिया जा सकता।"।<ref name="hindustan_times_july11_2009"/>