"स्कन्द पुराण": अवतरणों में अंतर

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स्कन्द पुराण के कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। प्राचीन संस्करणों में नवल किशोर प्रेस, लखनऊ एवं वेंकटेश्वर प्रेस, बंबई के संस्करण हैं। इन दोनों संस्करणों के साथ-साथ एक बांला संस्करण के भी आधार पर स्कन्द पुराण के पाँच खण्डों का संपादित संस्करण 1960-62 ई० में मनसुखराय मोर, 5 क्लाइव राॅ, कलकत्ता से छह जिल्दों में प्रकाशित हुआ। इसी के साथ नागर तथा प्रभास खण्ड को भी मिलाकर सम्पूर्ण स्कन्द पुराण (मूलमात्र) अब चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।<ref>स्कन्दमहापुराणम्, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, संस्करण-2003ई०, जिल्द-1 से 6 तक की भूमिकादि में परिलक्षित।</ref> इसी संस्करण से श्लोकों की गणना करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि स्कन्द पुराण में कालान्तर में कम से कम तेरह हजार श्लोक प्रक्षिप्त रूप में शामिल हो गये हैं। श्लोकों की कुल संख्या 81,100 की बजाय 94,410 हो गयी हैं; जबकि कुल संख्या विभिन्न पुराणों में उल्लिखित संख्या (81,100) से कुछ हजार कम ही होनी चाहिए थी, क्योंकि पुराणगत प्राचीन गणना में श्लोकों के साथ उवाचों की संख्या भी मिली रहती थी। यह स्वतंत्र शोध का विषय है। बहरहाल यहाँ उक्त संस्करण से अध्याय सहित श्लोकों की सम्पूर्ण संख्या दी जा रही है।
 
=== संरचना ===
=== श्लोक-संख्या ===
 
{| class="wikitable"
! #
!खण्ड
! उपखण्ड
!अध्याय-संख्या
!श्लोक-संख्या
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|1
|माहेश्वर खण्ड
|३ ; केदार, कौमारिका, अरुणाचल
|138
|11,997
Line 56 ⟶ 58:
|2
|वैष्णव खण्ड
| ९
|232
|13,846
Line 61 ⟶ 64:
|3
|ब्रह्म खण्ड
|३ ; सेतुमाहात्म्य, धर्मारण्य खण्ड, ब्राह्मोत्तर खण्ड
|146
|11,501
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|4
|काशी खण्ड
|२ ; पूर्वार्ध, उत्तरार्ध
|100
|11,714
|-
|5
|अवन्तीअवन्त्य खण्ड
|३ ; अवन्तिक्षेत्रमाहात्म्य, चतुरशीतिलिङ्गमाहात्म्य, रेवाखण्ड
|403
|16,005
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|6
|नागर खण्ड
| १ ; तीर्थमाहात्म्य
|279
|14,932
Line 81 ⟶ 88:
|7
|प्रभास खण्ड
| ४ ; प्रभासक्षेत्रमाहात्म्य, वस्त्रापथक्षेत्रमाहात्म्य, अर्वुद खण्ड, द्वारकामाहात्म्य
|492
|14,415