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पंक्ति 58:
पूर्व अध्यक्ष
राजस्थान सिन्धी अकादमी जयपुर ।
 
*सिन्धी का आदर्श व्याकरण और निराली कारक रचना*
 
भाषा ! भावनाओं - विचारों को प्रकट करने का माध्यम होती है और जिस भाषा में ऐसे गुण अधिक हों, उसी को सबसे समर्थ और आदर्श (आईडियल) भाषा मानना चाहिए .
 
सिन्धी में भावनाओं और निराले गुणों को प्रकट करने वाले शब्दों में से एक शब्द है 'भवाइतो' -- जिसका रूप संस्कृत में 'भयप्रद', हिन्दी में 'भयानक' उर्दू में समानार्थी 'ख़ौफ़नाक़' और अंग्रेज़ी में Terrible के लिंग और वचन के रूप नहीं बनते और न ही कारक रूप .
 
जबकि सिन्धी में 'भवाइतो' के चार -- भवाइतो (पुर्लिंग, एक वचन) -- भवाइता (पुर्लिंग, बहु वचन), भवाइती (इस्त्रीलिंग, एक वचन) -- भवाइतियूं (इस्त्रीलिंग, बहु वचन) और कर्ता कारक 'ने' के अर्थ वाले चार -- भवाइतो > 'भवाइते' (पुर्लिंग, एक वचन), भवाइता > 'भवाइतनि' (पुर्लिंग, बहुवचन), भवाइती > 'भवाइतीअ' (इस्त्रीलिंग, एकवचन) ऐं भवाइतियूं > 'भवाइतुनि' (इस्त्रीलिंग, बहुवचन), मिलाकर कुल अाठ रूप बनते हैं .
 
संस्कृत में कर्ता कारक के रूप नहीं बनते, पर हिन्दी और उर्दू में कर्ता कारक 'ने' है, जो सिन्धी के 'न - नि' का रूप है -- जैसे कि -- हो -- हुन (वह > उस -- उसने), हू -- हुननि (वे > उन - उन्होंने) .
 
इस तरह सिन्धी के 'सुंहिंणो' ऐं 'मोहिणो' आदि शब्दों के भी अाठ - अाठ रूप बनते हैं. पर संस्कृत और हिन्दी के 'सोहन' और 'मोहन' - 'मोहक' तथा उर्दू के 'ख़ूबसूरत' और 'दिलकश' के रूप नहीं बनते .
 
सिन्धी के एेसे दूसरे भी कई गुण हैं, जिनको अभी तक प्रकट नहीं किया गया है .
 
इन रूपों से प्रमाणित हो जाता है कि सिन्धी में भावनाओं को प्रकट करने की सामर्थ्य, दूसरी भाषाओं से अाठ गुनी अधिक है -- सिन्धी का व्याकरण एवं कारक रचना सभी भाषाओं से अधिक समर्थ और आदर्श भी है .
 
(सिन्धी भाषा के हित में इस लेख को अंग्रेज़ी में शेयर करें)
प्रेम तनवाणी - 9685943880
 
== सिन्धी का भूगोल एवं उपभाषाएँ ==