"काकोरी काण्ड": अवतरणों में अंतर

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[[मन्मथनाथ गुप्त]] ने उत्सुकतावश यात्री का ट्रैगर दबा दिया जिससे छूटी गोली अहमद अली नाम के यात्री को लग गयी। वह मौके पर ही ढेर हो गया। शीघ्रतावश चाँदी के सिक्कों व नोटों से भरे चमड़े के थैले चादरों में बाँधकर वहाँ से भागने में एक चादर वहीं छूट गई। अगले दिन समाचार पत्रों के माध्यम से यह समाचार पूरे संसार में फैल गया। ब्रिटिश सरकार ने इस ट्रेन डकैती को गम्भीरता से लिया।
 
== गिरफ्तारी और मुकदमाप्रकरण ==
खुफिया प्रमुख खान बहादुर तसद्दुक हुसैन ने पूरी छानबीन और तहकीकातजांच पड़ताल करके बरतानिया सरकार को जैसे ही इस बात की पुष्टि की कि काकोरी ट्रेन डकैती क्रान्तिकारियों का एक सुनियोजित षड्यन्त्र है, [[पुलिस]] ने काकोरी काण्ड के सम्बन्ध में जानकारी देने व षड्यन्त्र में शामिल किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करवाने के लिये इनामपुरस्कार की घोषणा के साथ इश्तिहारविज्ञापन सभी प्रमुख स्थानों पर लगा दिये जिसका परिणाम यह हुआ कि पुलिस को घटनास्थल पर मिली चादर में लगे धोबी के निशान से इस बात का पता चल गया कि चादर [[शाहजहाँपुर]] के किसी व्यक्ति की है। शाहजहाँपुर के धोबियों से पूछने पर मालूम हुआ कि चादर बनारसीलाल की है। बिस्मिल के साझीदार बनारसीलाल से मिलकर पुलिस ने इस डकैती का सारा भेद प्राप्त कर लिया। पुलिस को उससे यह भी पता चल गया कि ९ अगस्त १९२५ को शाहजहाँपुर से राम प्रसाद 'बिस्मिल' की पार्टी के कौन-कौन लोग शहर से बाहर गये थे और वे कब-कब वापस आये? जब खुफिया तौर से इस बात की पूरी पुष्टि हो गई कि [[राम प्रसाद 'बिस्मिल']], जो हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ (एच०आर०ए०) के लीडरनेता थे, उस दिन शहर में नहीं थे तो २६ सितम्बर १९२५ की रात में बिस्मिल के साथ समूचेपूरे हिन्दुस्तान से ४० लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
 
=== गिरफ़्तार व्यक्ति ===
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# शचीन्द्रनाथ बख्शी
 
उपरोक्त ४० व्यक्तियों में से तीन लोग शचीन्द्रनाथ सान्याल बाँकुरा में, योगेशचन्द्र चटर्जी हावडा में तथा [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]] [[दक्षिणेश्वर]] बम विस्फोट मामले में [[कलकत्ता]] से पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे और दो लोग [[अशफाक उल्ला खाँ]] और शचीन्द्रनाथ बख्शी को तब गिरफ्तार किया गया जब मुख्य काकोरी षड्यन्त्र केस का फैसला हो चुका था। इन दोनों पर अलग से पूरक मुकदमाप्रकरण दायरदर्ज किया गया।
 
=== दस में से पाँच फरार ===
काकोरी-काण्ड में केवल १० लोग ही वास्तविक रूप से शामिल हुए थे, पुलिस की ओर से उन सभी को भी इस केसप्रकरण में नामजद किया गया। इन १० लोगों में से पाँच - चन्द्रशेखर आजाद, [[मुरारी शर्मा]], केशव चक्रवर्ती (छद्मनाम), अशफाक उल्ला खाँ व शचीन्द्र नाथ बख्शी को छोड़कर, जो उस समय तक पुलिस के हाथ नहीं आये, शेष सभी व्यक्तियों पर '''सरकार बनाम राम प्रसाद बिस्मिल व अन्य''' के नाम से ऐतिहासिक मुकदमाप्रकरण चला और उन्हें ५ वर्ष की कैद से लेकर फाँसी तक की सजा हुई। फरार अभियुक्तों के अतिरिक्त जिन-जिन क्रान्तिकारियों को एच० आर० ए० का सक्रिय कार्यकर्ता होने के सन्देह में गिरफ्तार किया गया था उनमें से १६ को साक्ष्य न मिलने के कारण रिहा कर दिया गया। स्पेशलविशेष मजिस्टेटन्यायधीश ऐनुद्दीन ने प्रत्येक क्रान्तिकारी की छवि खराब करने में कोई कसर बाकी नहीं रक्खी और केसप्रकरण को सेशन कोर्टन्यायालय में भेजने से पहले ही इस बात के पक्के सबूत व गवाह एकत्र कर लिये थे ताकि बाद में यदि अभियुक्तों की तरफ से कोई अपीलयाचिका भी की जाये तो इनमें से एक भी बिना सजा के छूटने न पाये।
 
== मेरा रँग दे बसन्ती चोला ==