"उदयपुर": अवतरणों में अंतर

यह एक सत्य घटना है कि उदयपुर का निर्माण महाराणा प्रताप ने महाराणा उदय सिंह की देखरेख में 3 वर्षों में किया था महज 3 वर्षों में उदयपुर का इतना बड़ा किला महाराणा प्रताप ने अपने अथक परिश्रम के द्वारा ही खड़ा किया उसके लिए उनकी उस समय बहुत सराहना हुई थी उदयपुर को अपनी राजधानी के रूप में कार्यान्वित किया चित्तौड़गढ़ हारने के बाद में महाराणा प्रताप ने उदयपुर का निर्माण करके उसे ही अपनी राजधानी बना लिया था
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राणा उदयसिंह उनके पुत्र महाराणा प्रताप और उनके पुत्र अमर सिंह जो इतिहास में उनके विषय में बताया गया है हमने सिर्फ वही बदला है उसी को एक रूप देने की कोशिश किया है जो कि सत्य है
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'''उदयपुर''' [[राजस्थान]] का एक नगर एवं पर्यटन स्थल है जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिये प्रसिद्ध है। उदयपुर में [[पटेल]], मीणा, राजपूत के साथ अन्य कई जातिया निवास करती है। इसे सन् 1559 में महाराणा उदय सिंह ने स्थापित किया था। अपनी झीलों के कारण यह शहर झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर [[सिसोदिया राजवंश]] द्वारा ‌शासित [[मेवाड़]] की [[राजधानी]] रहा है। राजस्थान का यह खूबसूरत शहर देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए एक सपना सा लगता है यह शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अनुपम है।
 
मुगल शासक अकबर से चित्तौड़गढ़ का किला हारने के बाद महाराणा उदय सिंह ने चित्तौड़ को अपनी राजधानी के रूप में पुनः निर्मित किया और यहीं से उन्होंने मेवाड़ का कारोबार संभालना शुरू किया यहीं पर फिर से एक बार मुगल शासक अकबर ने तीन लाख की सेना लेकर उदयपुर का किला फतेह करने के लिए घेर लिया तब महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी में मुगल की सेना का सामना किया फिर भी महाराणा प्रताप उदयपुर को बचा नहीं पाए क्योंकि महाराणा प्रताप के सौतेली मां का पुत्र कुंवर जगमाल सिंह अकबर के साथ मिला हुआ था जब हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप मुगलों के साथ घमासान युद्ध कर रहे थे उस समय कुंवर जगमाल सिंह ने 25000 मुगल की सेना लेकर उदयपुर किले पर हमला किया यह बात महाराणा प्रताप को जो हल्दीघाटी युद्ध में पता चला तो उन्होंने अपना बस्तर बंद किसी दूसरे को पाना कर उनको बोला तुम महाराणा प्रताप बनकर यहां युद्ध करो और मैं उदयपुर किला बचाने के लिए जा रहा हूं तब उन्होंने जाकर अपने पुत्र अमर सिंह और अपनी रानी फूलवती को जगमाल के हाथों से बचाया और उनको लेकर जंगल में चले गए जहां जाकर उन्होंने फिर से संघर्ष किया और फिर से एक नई सेना तैयार किया और धीरे धीरे छोटे-छोटे किलो जीते जीत के 1 दिन उदयपुर को भी जीत लिया महाराणा प्रताप जंगल में जाने के बाद छापामार युद्ध करना प्रारंभ किए छापामार युद्ध के द्वारा ही उन्होंने उदयपुर के आसपास के सारे छोटे-छोटे के लोगों को जीत लिया और एक दिन उदयपुर को भी जीत लिया चित्तौड़गढ़ जीतने के पहले ही उनका देहांत हो गया लेकिन उनके पुत्र अमर सिंह ने मेवाड़ के वह सारे के लिए जीत लिए जिन्हें मुगल शासक अकबर ने मेवाड़ से जीता था वह सारे के लिए अमर सिंह ने फिर से जीत लिया और पूरे मेवाड़ को एक कर दिया महाराणा प्रताप के सपने को साकार किया महाराणा अमर सिंह
 
 
 
 
 
 
 
 
चित्तौड़गढ़ का किला मुगल शासक अकबर से हारने के बाद महाराणा उदय सिंह और उनके पुत्र महाराणा प्रताप ने उदयपुर में नया किला तैयार किया जिसे बनाने में 3 वर्ष का समय लगा और और को अपनी राजधानी घोषित किया वहां से शांतिपूर्ण ढंग से अपना शासन चला रहे थे कि मुगल शासक अकबर की कुदरती उदयपुर किले पर पड़ गई जयपुर के राजा मानसिंह की नजर हमेशा महाराणा प्रताप पर थी कि उनको कैसे हराया जाए इसलिए मान सिंह के कहे अनुसार अकबर ने उदयपुर पर फिर से हमला किया और इस बार 300000 सेना के साथ अकबर ने हल्दीघाटी में डेरा डाल दिया हल्दीघाटी के आगे महाराणा प्रताप के मित्र राणा पूजा मैं अकबर को बढ़ने नहीं दिया वहीं पर महाराणा प्रताप ने आकर अकबर के साथ युद्ध में मोर्चा संभाला बहुत भयंकर युद्ध हुआ कई दिनों तक चलता रहा आखिरकार अकबर ने नई चाल खेली और राणा प्रताप के सौतेले भाई जगमाल सिंह को 25000 सिपाहियों के साथ उदयपुर पर आक्रमण करने के लिए भेज दिया यह बात महाराणा प्रताप को जब पता चली तब उन्होंने हल्दीघाटी से उदयपुर जाने का निर्णय लिया और उदयपुर में जाकर देखा उदयपुर का किला कुंवर जगमाल सिंह ने पूरी तरह से जीत लिया था राणा प्रताप ने अपने पुत्र और अपनी पत्नी फूल कुमार को लेकर जंगल में चले गए जंगल में जाने के बाद उन्होंने अपनी सेना का पुनर्गठन किया और छापामार युद्ध करके छोटे छोटे किले जीतने लगे और जब उनकी ताकत और बढ़ गई तब उन्होंने उदयपुर पर आक्रमण करके फिर से उदयपुर को हथिया लिया फिर भी महाराणा प्रताप को संतुष्टि नहीं थी उनके अंदर एक जज्बा था कि राजपूताने का जितना भी किला अकबर ने राजपूतों से छीना है उतना पूरा का पूरा अकबर से छीन ना ही उनका मकसद था इसलिए वे उदयपुर जीतने के बावजूद भी रुके नहीं चित्तौड़गढ़ का किला जीतने से पहले ही महाराणा प्रताप की मृत्यु हो गई उनके शरीर में इतने गहरे गहरे घाव लगे थे उनकी परवाह किए बिना सब से छुपा कर वह युद्ध करते रहे इन्हीं लाइलाज घावों की वजह से ही उनकी मृत्यु हुई और चित्तौड़गढ़ वापस लेने का जो उनका सपना था उसे राणा प्रताप के बाद उनके पुत्र अमर सिंह ने पूरा कर दिखाया और अकबर से समस्त राजपूताना युद्ध में छीन लिया यही उदयपुर और चित्तौड़गढ़ और समस्त राजपूताने का इतिहास रहा है राणा उदयसिंह ने कभी अकबर के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया अन्यथा राजपूताने के कई राजाओं ने अपनी स्त्रियों की शादी तक अकबर के साथ कर दिया था सिर्फ और सिर्फ अपने आप को बचाने के लिए लेकिन राणा उदय सिंह और राणा प्रताप ने कभी भी अकबर का शासन स्वीकार नहीं किया इसलिए वे मरते दम तक अकबर के साथ लोहा लेते रहे ?
 
कमलनयन तिवारी
 
==इतिहास==