"जैन दर्शन": अवतरणों में अंतर
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#[[अजीव]]
# आस्रव
जैन दर्शन के अनुसार कर्म पुदगल के जीव के शरीर में प्रवेश करने को आस्त्रव कहते हैं. आस्त्रव जीव के बंधन का कारण है.
#[[कर्म बन्ध|बन्ध]]
#[[संवर]]
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