"रायगढ़": अवतरणों में अंतर
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१२. राजभवन : राणीवश के सामने बॉेए हात पर दासदासी के मकान के अवषेश दिखाई देते है। इन अवशेषाे के पीछे दूसरी जो समांतर दिवार है उस दिवार के मध्यभाग में दरवाजे से बालेकिले के अंतर्भाग में प्रवेश किया कि जो प्रशस्त चौक लगता है वो ही महाराज का राजभवन है। राजभवन का चौक ८६ फूट लंबा और ३३ फूट चौडा है। १३. रत्नशाळा : राजप्रसादा के पास स्तंभ के पूर्व की ओर की खुली जगह पर एक तलघर है वो ही रत्नळाला है। खलबतखाना मतलब गुप्त बातें करने के लिए बनाया गया कमरा है ऐसा कहा जाता है।
१५. नगारखाना : सिंहासन के सामने जो भव्य प्रवेशद्वार दिखाई देता है वही ये नगारखाना है। और यह बालेकिले का मुख्य प्रवेश द्वार है। नगारखाने से सीढियॉ चढकर ऊपर गया तो वह किले के सर्वाधिक उंचे स्थान पर पहुंचता है।
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१६. बाजार : नगारखाने से बाई ओर उतरने पर सामने जो खुली जगह दिखाई देती है वह‘होळीचा माळ’है। वही पर शिवछत्रपतीं का भव्य पुतला बनाया गया है। पुतले के सामने जो दो पंकि में भव्य अवशेष दिखाई देते हैं वही शिवाजी महाराज के जमाने का बाजार पेठ दो पंकि में प्रत्येकी २२ दुकाने है। दो पंकि में चालीस फूट चौडा रस्ता है। प्रत्येक बाजार पेठ आज भी हुबेहुब जैसी की वैसी है।
१७. शिरकाई मंदिर : महाराज के पुतडाव्या बाजूस जे छोटे देऊळ दिसते ते शिरकाईचे देऊळ. शिरकाई ही गडावरील मुख्य देवता. शिर्के पाचव्या शतकापासून रायगडाचे स्वामी होते. याची आठवण देणारी गडस्वमिनी शिरकाई हिचे मंदिर गडावर आहे. लोकमान्य टिळकांचा काळात मावळकर नावाचा इंजिनिअराने हे मंदिर बांधले आहे. ते शिरकाईचे मूळ मंदिर नाही. मूर्ती मात्र प्राचीन आहे. मूळ शिरकाई मंदिर राजवाड्यास लागून डावीकडे होली बादबमाला पर था। वहॉ मंदिर का चबुतरा आज भी है। ब्रिटिश काल में वहॉ शिरकाई का घरटा ये नामफलक था।
१८. जगदीश्वर मंदिर : बाजारपेठेचा खालचा बाजूस पूर्वेकडील उतारावर ब्राह्मणवस्ती, ब्राह्मणतळे वगैरे अवशेष दिसतात. तेथूनच समोर जे भव्य मंदिर दिसते तेच महादेवाचे म्हणजे जगदीश्वराचे मंदिर. मंदिरासमोर नंदीची भव्य आणि सुबक मूर्ती आहे. पण सध्या ही मूर्ती भग्रावस्थेत आहे. मंदिरात प्रवेश केला की भव्य
राज्याभिषेक
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