"रायगढ़": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 89:
२१. वाघदरवाजा : कुशावर्त तलाब के पास घळी से उतरते हुए वाघ दरवाजे की ओर जाता है।आज्ञापत्र में लिखा है कि ‘किले का एक दरवाजा थोर आयब है, इसलिए गड चढकर एक दोन – तीन दरवाजे, वैसे ही चोरदिंडा करके रखे। उसमें हमेशा राबत्यास उतना रखकर वरकड दरवाजे और दिंडा चिणून डाले’ ये दूरदर्शीपना रखकर महाराज ने महादरवाजा उसके साथ ही यह दरवाजा बनाया। इस दरवाजान से ऊपर आना असंभव सा ही है परंतु रस्सी लगाकर नीचे उतर सकते है। आगे राजाराम महाराज और उनकी पत्नी झुल्फिरखान का घेरा तेडकर इसी दरवाजे से पलायन किया।
 
२२. टकमक टोक : बाजारपेठ से नीचे उतर कर सामने के टेपा पर से टकमक सिरेतक जाते आता है। वही पर एक दारूका कोठार के अवशेष दिखाई देते है। जैसे जैसे सिरेतक जाए वैसे वैसेरस्ता रस्ता सँकरा होता जाता है। दाँए हात की ओर का सीधा टूटा हुआ २६०० फूट गहर गड्ढा है।सिरेपर बहुत वेग से हवा आती है। जाते समय जगह सँकरा होने के कारण गडबड न करते हुए सावधानता लेनी चाहिए।शिवराज्यकाल में इस ठिकाने से गुन्हेगारो को सजा मिलती थी।
२२. टकमक टोक : बाजारपेठेचा समोरील टेपावरून खाली
 
राज्याभिषेक
२३. हिरकणी टोक : गंगासागर के पश्चिम दिशा की ओर जो सँकरा मार्ग माहिरकणी सिरे तक जाता है। हिरकणी सिरेतक से संबंधित हिरकणी गवळणी की एक कथा बताया जाती है। इस बुरुज पर कुछ तोफ भी रखी हई दिखाई देती है। बुरुज पर खड़े हुए तो बाई हात की ओर गांधारी के खोरे, दॉई ओर काल नदीचके खोरे दिखाई देते है। पाचाड, खुबलढा बुरूज, मशीद मोर्चा ही ठिकाणे तोफेचा माऱ्यात आहेत. त्यामुळे युद्धशास्त्राचा तसेच लढाऊ दृष्टीने ही खूप महत्त्वाची आणि मोक्याची जागा आहे.
 
'''२४. वाघ्या कुत्र्याची समाधी : इतिहासात असे म्हटले जाते की शिवाजी महाराजांंचा अत्यसंस्कार चालू होता तेव्हा शिवाजी महाराजांचा वाघ्या नावाचा कुत्र्याने त्या आगीत उडी घेतली.
 
शिवाजी का राज्याभिषेक रायगड में, 6 जून 1674 ई. को हुआ था। काशी के प्रसिद्ध विद्वान गंगाभट्ट इस समारोह के आचार्य थे। उपरान्त 1689-90 ई. में औरंगज़ेब ने इस पर अधिकार कर लिया।