"प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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बालक निर्जीव वस्तुओं को सजीव समझते हैं।आत्मकेंद्रित हो जाता है बालक।
संकेतों एवं भाषा का विकास तेज होने लगता है।
2-अन्तःप्रज्ञाकाल:
बालक छोटी छोटी गणनाओं जैसे जोड़ घटाओ आदि सीख लेता है।संख्या प्रयोग करने लगता है।
इसमें क्रमबद्ध तर्क नही होता है।
 
=== मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ===