"सुलतानपुर जिला": अवतरणों में अंतर

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* '''कोइरीपुर''':- यहां पर श्री [[हनुमान]] जी, भगवान [[शिव]] [[शंकर]] तथा प्रभु श्री [[राम]] और माता [[सीता]] के अनेकों मंदिर हैं। इन मंदिरों का निर्माण स्थानीय लोगों ने मिलकर करवाया था। [[पूर्णिमा]] के अवसर पर यहाँ बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में काफी संख्या में लोग सम्मिलित होते हैं।
* '''सतथिन शरीफ''':- प्रत्येक वर्ष यहां दस दिन के उर्स का आयोजन किया जाता है। शाह अब्दुल लातिफ और उनके समकालीन बाबा मदारी शाह उस समय के प्रसिद्ध फकीर थे। यहां [[गोमती नदी]] के तट पर शाह अब्दुल लातिफ की समाधि स्थित है।
* '''गोरीशंकर धाम''':- '''चाँदा''' के शाहपुर जंगल के बीच गोमती नदी के तट पर अवस्थित मनोरम शिव मन्दिर है, इस मंदिर की मान्यता यह है कि यह अत्यंत प्राचीन मंदिर है। वैसे तो यहाँ हर सोमवार को मेला लगता है जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है, पर प्रतिवर्ष "महाशिवरात्रि" को यहाँ बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है जहाँ पर आस पास के जिले के लोग भी आते हैं, मान्यता है कि जो भी श्रद्धा से यहां आकर कुछ भी मांगता है उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।इसका सुन्दरीकरण करके अब इसे पर्यटनस्थल भी घोषित कर दिया गया है।यहाँ बच्चों के लिए पार्क बनाकर उसमे विभिन्न प्रकार के झूले भी स्थापित किये गए हैं।
* '''बिलवाई''':- बिलवाई सुलतानपुर जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित एक कस्बा है। यहाँ भगवान शिव का भव्य मन्दिर है। पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम वन जा रहे थे, तो इसी स्थान पर बेल के जंगल में उन्होंने भगवान शिव जी का शिवलिंग स्थापित कर पूजा अर्चना की थी, आज भी यहाँ महाशिवरात्रि के अवसर पर 3 दिन का भव्य मेला लगता है, और खरमास के समय 1 महीने तक लोग यहां भगवान शिव के दर्शन को आते हैं।
* '''करिया बझना''':- यह प्रसिद्ध स्थान जिला मुख्यालय सुलतानपुर से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि कूरेभार विकास खंड के अंतर्गत आता है। यहाँ करिया बाबा का एवं पवनपुत्र हनुमान जी का प्रसिद्ध मन्दिर है। सुलतानपुर के इस प्रसिद्ध स्थान पर दूर दूर से लोग अपने बच्चों का मुण्डन संस्कार कराने आते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी मुराद लोग माँगते हैं करिया बाबा उसे अवश्य पूरी करते हैं। श्रद्धालु यहाँ हलुवा पूरी का प्रसाद भी चढ़ाते हैं। करिया बाबा का प्रति वर्ष 6 भव्य मेले भी लगते हैं। 3 मेला जुलाई महीने में और 3 मेला दिसम्बर महीने में लगता है।