"दुर्गा": अवतरणों में अंतर

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{{Unref|date=जुलाई 2016}}
{{Infobox deity
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| mantra = ॐ दुर्गा देव्यैः नमः<br />ॐ एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायैः विच्चे॥ ॐ ह्री दुं दुर्गाय् नमः
| weapon = [[त्रिशूल]], [[चक्र]], <br /> [[गदा]], [[धनुष]], <br /> [[शंख]], [[तलवार]], <br />[[कमल]], [[तीर]], अभयहस्त
| consort = [[शिवसदाशिव]]
| mount = [[बाघ]] [[सिंह]]
| planet =
}}
[[File:Durga, Burdwan, 2011.JPG|thumb|पश्चिम बंगाल के बर्दवान में दुर्गा पूजा का पांडाल, 2011]]
'''दुर्गा''' हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं जिन्हें केवल [[देवी]] और [[शक्ति]] भी कहते हैं। <ref>David R. Kinsley 1989, pp. 3-4.</ref><ref>{{cite web|url=https://blogs.timesofindia.indiatimes.com/the-photo-blog/9-days-9-avatars-be-ferocious-like-goddess-kaalratri/|title=9 days, 9 avatars: Be ferocious like Goddess Kaalratri}}</ref> [[शाक्त|शाक्त सम्प्रदाय]] की वह मुख्य देवी हैं जिनकी तुलना परम [[ब्रह्म]] से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा [[धर्म]] पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।<ref>Paul Reid-Bowen 2012, pp. 212-213.</ref>
[[ॐ श्री दुर्गाय नम:]]
देवी दुर्गा का निरूपण [[सिंह]] पर सवार एक देवीनिर्भय स्त्री के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने [[महिषासुर]] नामक असुर का वध किया। महिषासुर (= महिष + असुर = भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे [[शिव]] की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित हैं। जिन ज्योतिर्लिंगों मैं देवी दुर्गा की स्थापना रहती है उनको सिद्धपीठ कहते है। वँहा किये गए सभी संकल्प पूर्ण होते है।
 
हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय [[ईश्वर]] को देवी के रूप में मानता है)। [[वेद|वेदों]] में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु [[उपनिषद]] में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। [[पुराण]] में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में [[शिव]] की पत्नी [[आदिशक्ति]] का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।
 
देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "'''गौरी'''" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप "'''काली'''" है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा [[भारत]] और [[नेपाल]] के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं। कुछ दुर्गा मन्दिरों में पशुबलि भी चढ़ती है। भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।
 
मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्‍य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्‍त, परम उपयोगी और मनुष्‍य का कल्‍याणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्‍त बताया है और कहा है कि जो मनुष्‍य इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्‍त समय में बैकुण्‍ठ को जाएगा। ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्‍य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा। भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्‍बा का अवतरण श्रेष्‍ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है। जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्‍टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्‍ही से सारे विश्‍व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है।
 
इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्‍यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।
 
== अन्य स्वरूप==
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*108. ब्रह्मवादिनी :* वर्तमान में हर जगह वास करने वाली
 
=== गिरिजा (सती=) ==
[['गिरिजा'(सती)]] दुर्गा जी एक नाम है। [[दक्ष प्रजापति|दक्ष]] ने अपने यज्ञ में सभी देवताओं को आमंत्रित किया , लेकिन [[शिव]] और सती को आमंत्रण नहीं दिया। इससे क्रुद्ध होकर, अपमान का प्रतिकार करने के लिए इन्होंने उग्रचंडी के रूप में अपने पिता के यज्ञ का विध्वंस किया था। इनके हाथों की संख्या १८ मानी जाती है। आश्विन महीने में कृष्णपक्ष की नवमी दिन शाक्तमतावलंबी विशेष रूप से उग्रचंडी की पूजा करते हैं।[[माँ गिरिजा भवानी]]
 
[[माँ गिरिजा भवानी]] मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्‍य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्‍त, परम उपयोगी और मनुष्‍य का कल्‍याणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्‍त बताया है और कहा है कि जो मनुष्‍य इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्‍त समय में बैकुण्‍ठ को जाएगा।
 
मार्कण्डेय पुराण में ब्रहदेव ने मनुष्‍य जाति की रक्षा के लिए एक परम गुप्‍त, परम उपयोगी और मनुष्‍य का कल्‍याणकारी देवी कवच एवं व देवी सुक्‍त बताया है और कहा है कि जो मनुष्‍य इन उपायों को करेगा, वह इस संसार में सुख भोग कर अन्‍त समय में बैकुण्‍ठ को जाएगा। ब्रहदेव ने कहा कि जो मनुष्‍य दुर्गा सप्तशती का पाठ करेगा उसे सुख मिलेगा। भगवत पुराण के अनुसार माँ जगदम्‍बा का अवतरण श्रेष्‍ठ पुरूषो की रक्षा के लिए हुआ है। जबकि श्रीं मद देवीभागवत के अनुसार वेदों और पुराणों कि रक्षा के और दुष्‍टों के दलन के लिए माँ जगदंबा का अवतरण हुआ है। इसी तरह से ऋगवेद के अनुसार माँ दुर्गा ही आदि-शक्ति है, उन्‍ही से सारे विश्‍व का संचालन होता है और उनके अलावा और कोई अविनाशी नही है।
 
इसीलिए नवरात्रि के दौरान नव दुर्गा के नौ रूपों का ध्‍यान, उपासना व आराधना की जाती है तथा नवरात्रि के प्रत्‍येक दिन मां दुर्गा के एक-एक शक्ति रूप का पूजन किया जाता है।
 
== दीर्घा ==