"नुसरत फ़तेह अली ख़ान": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2409:4063:4081:E87D:9A5B:59C0:9B20:AD0D (Talk) के संपादनों को हटाकर SM7 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 26:
 
मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जब नुसरत साहब गाते होगें, खुदा भी वहीँ-कहीं आस-पास ही रहता होगा, उन्हें सुनता हुआ मदहोश-सा. धन्य हैं वो लोग, जो उस समय वहां मौजूद रहें होगें. उनकी आवाज़-उनका अंदाज़, उनका वो हाथों को हिलाना, चेहरे पर संजीदगी, संगीत का उम्दा प्रयोग, यह सब जैसे आध्यात्म की नुमाइंदगी करते मालूम देते हैं। दुनिया ने उन्हें देर से पहचाना, पर जब पहचाना तो दुनिया भर में उनके दीवानों की कमी भी नहीं रहीं। १९९३ में [[शिकागो]] के विंटर फेस्टिवल में वो शाम आज भी लोगो को याद हैं जहाँ नुसरत जी ने पहली बार राक-कंसर्ट के बीच अपनी क़व्वाली का जो रंग जमाया, लोग झूम उठे-नाच उठे, उस 20 मिनिट की प्रस्तुति का जादू ता-उम्र के लिए [[अमेरिका]] में छा गया। वहीं उन्होंने [[पीटर ग्रेबियल]] के साथ उनकी फिल्म्स को अपनी आवाज़ दी।
इनका निधन सन् 1997, 16 अगस्त को लंदन में हुआ था |
 
== लोकप्रिय गायन ==