"दाण्डी आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
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[[असहयोग आंदोलन]] समाप्त होने के कई वर्ष बाद तक [[महात्मा गाँधी]] ने अपने को समाज सुधार कार्यो पर केंद्रित रखा। 1928 में उन्होंने पुन:राजनीति में प्रवेश करने की सोची। उस वर्ष सभी श्वेत सदस्यों वाले साईमन कमीशन, जो कि उपनिवेश की स्थितियों की जाँच-पड़ताल के लिए इंग्लैंड से भेजा गया था, के विरुद्ध अखिल भारतीय अभियान चलाया जा रहा था। गाँधी जी ने स्वयं इस आंदोलन में भाग नहीं लिया था पर उन्होंने इस आंदोलन को अपना आशीर्वाद दिया था तथा इसी वर्ष बारदोली में होने वाले एक किसान सत्याग्रह के साथ भी उन्होंने ऐसा किया था। 1929 में दिसंबर के अंत में कांग्रेस ने अपना वार्षिक अधिवेशन लाहौर शहर में किया। यह अधिवेशन दो दृष्टियों से महत्वपूर्ण था : जवाहरलाल नेहरू का अध्यक्ष के रूप में चुनाव जो युवा पीढ़ी को नेतृत्व की छड़ी सौंपने का प्रतीक था और ‘पूर्ण स्वराज’ अथवा पूर्ण स्वतंत्रता की उद्घोषणा।
अब राजनीति की गति एक बार फ़िर बढ़ गई थी |
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.visfot.com/news_never_die/gandhi_satyagrah.html गांधी जी ने कहा था- करेंगे या मरेंगे] ('विस्फोट' ब्लॉग)▼
▲[http://www.visfot.com/news_never_die/gandhi_satyagrah.html गांधी जी ने कहा था- करेंगे या मरेंगे] ('विस्फोट' ब्लॉग)
* [http://www.ibiblio.org/pha/policy/1942/420427a.html Rejected 'Quit India' resolution drafted by Mohandas K. Gandhi 27April, 1942]
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