"हयवदन (नाटक)": अवतरणों में अंतर

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इसके बाद एक '''अभिनेता ( एक्टर-1 )''' चीखते हुए दौड़कर भगवत की तरफ आता है और उसे बताता है कि उसने एक अजीब प्राणी को देखा है जो इन्सान की तरह बातें करता है लेकिन उसका का सिर एक घोड़े का है और धड़ एक इंसान का I भगवत उसे नाटक के लिए तैयार होने को कहता है I वह अभिनेता मंच से चला जाता है परन्तु कुछ देर में वह मंच पर चीखता हुआ वापिस आता है और उसके पीछे वह अजीब प्राणी भी आता है I एक बार तो भगवत को लगता है कि शायद किसी ने घोड़े का नकाब पहना हुआ है , वह इसे हटाने का प्रयास करता है और फिर उसे एहसास होता है कि उसका सिर असली है I वह सच में आधा घोड़ा है और आधा इंसान I इसके बाद वह प्राणी स्वयं का परिचय '''हयवदन''' के रूप में करता है I
 
'''हयवदन''' अपने जन्म की कहानी सुनाने लगता है I वह बताता है कि एक बार कर्नाटक राज्य की एक राजकुमारी को अपने लिए वर (पति ) चुनना होता है और उसे देखने के लिए दूर-दूर से राजकुमार आते है I उसे एक अरबी राजकुमार के घोड़े से प्यार हो जाता है और १५वह सालघोड़े बादसे विवाह करने के लिए जिद करती है और उसका विवाह कर दिया जाता है I वह घोडा आदमीआकाशीय प्राणी ( Celestial Being ) का रूप धारण कर लेता है लेकिन अब राजकुमारी उसे स्वीकार नहीं करती I वह आदमी ( घोड़ा ) राजकुमारी को घोड़ी बनने का श्राप दे देता है और वो एक घोड़ी के रूप में बदल जाती है I वह घोड़ी (राजकुमारी) हयवदन को जन्म देती है जो कि आधा आदमी है ( सिरधड़ ) और आधा घोड़ा ( धड़सिर ) I भगवतअब हयवदन कोइस कहतारूप से मुक्ति प्राप्त करना चाहता है किI वहभगवत उसे चित्रकूट के माता (देवी) काली के मंदिर में चलाजाने जायेके लिए कहता है और इसअभनेता श्रापको (भी आधाउसके घोड़ासाथ -जाने आधाके इंसानलिए )कहता सेहै मुक्तिI प्राप्तदोनों चले जाते करेहैं I
 
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