"हयवदन (नाटक)": अवतरणों में अंतर

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'''हयवदन''' अपने जन्म की कहानी सुनाने लगता है I वह बताता है कि एक बार कर्नाटक राज्य की एक राजकुमारी को अपने लिए वर (पति ) चुनना होता है और उसे देखने के लिए दूर-दूर से राजकुमार आते है I उसे एक अरबी राजकुमार के घोड़े से प्यार हो जाता है और वह घोड़े से विवाह करने के लिए जिद करती है और उसका विवाह कर दिया जाता है I वह घोडा १५ साल बाद आकाशीय प्राणी ( Celestial Being ) का रूप धारण कर लेता है लेकिन अब राजकुमारी उसे स्वीकार नहीं करती I वह आदमी ( घोड़ा ) राजकुमारी को घोड़ी बनने का श्राप दे देता है और वो एक घोड़ी के रूप में बदल जाती है I वह घोड़ी (राजकुमारी) हयवदन को जन्म देती है जो कि आधा आदमी है ( धड़ ) और आधा घोड़ा ( सिर ) I अब हयवदन इस रूप से मुक्ति प्राप्त करना चाहता है I भगवत उसे चित्रकूट के माता (देवी) काली के मंदिर में जाने के लिए कहता है और अभनेता को भी उसके साथ जाने के लिए कहता है I दोनों चले जाते हैं I
 
भगवत नाटक की कहानी के साथ आगे बढ़ता है I मंच पर देवदत्त और कपिल आते है I देवदत्त एक पदमिनी नाम की लड़की से विवाह करना चाहता है और वह इस बारे में कपिल को बताता है I देवदत्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर मन ही मन अपना सिर और बाहें देवी काली को न्योछावर करने की सोचता है I कपिल पदमिनी के पास जाकर देवदत्त से विवाह का प्रस्ताव रखता हैI देवदत्त और पदमिनी का विवाह हो जाता है I समय बीतने पर देवदत्त को ये महसूस होने लगता है कि कपिल और पदमिनी परस्पर एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो रहे है I इस समय पदमिनी गर्भवती है I देवदत्त जान बूझकर तीनो के उज्जैन जाने के कार्यक्रम को टालने का प्रयास करता है I वह कपिल से कहता है कि पदमिनी बीमार है I लेकिन पदमिनी उसकी इच्छाओं के विपरीत कपिल के सामने यात्रा पर जाने की सहमति दे देती है I तीनो यात्रा पर निकल पड़ते हैं I पदमिनी बार बार देवदत्त के सामने कपिल की प्रशंसा करती है I कपिल पदमिनी के लिए फूल तोड़ कर लाता है I कपिल और पदमिनी दोनों रूद्र मंदिर में चले जाते हैं जबकि देवदत्त साथ जाने से मना कर देता है I वह ईर्ष्या अनुभव करता है लेकिन इसके लिए पदमिनी को दोष नहीं देता I क्यूंकि कपिल का शारीरिक बल और सौन्दर्य ऐसा है कि कोई भी स्त्री उसकी और आकर्षित हो सकती है I देवदत्त देवी काली के मंदिर में चला जाता है I उसे अपना प्रण याद आ जाता है I वह पदमिनी और कपिल की सदा खुश होने की कामना करते हुए तलवार से अपना सिर काटकर देवी काली के चरणों में चढ़ा देता है I
भगवत नाटक की कहानी के साथ आगे बढ़ता है I
 
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