"भवभूति": अवतरणों में अंतर
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== परिचय ==
भवभूति,
अपने बारे में संस्कृत कवियों का मौन एक परम्परा बन चुका है, पर भवभूति ने इस परम्परागत मौन को तोड़ा है और अपने तीनों नाटकों की प्रस्तावना में अपना परिचय प्रस्तुत किया है। ‘महावीरचरित’ का यह उल्लेख—
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