"हयवदन (नाटक)": अवतरणों में अंतर

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समय बीतता है I देवदत्त कुछ गुड़ियाँ लेकर आता है I ये गुड़ियाँ भी एक तरह से कथावाचक की भूमिका निभाती हैं I देवदत्त और पदमिनी की मनोस्थिति को दर्शकों के सामने रखती हैं I वह एक कुश्ती का मुकाबला जीतने की खुश खबरी भी पदमिनी को देता है I पदमिनी एक बच्चे को जन्म देती है I देवदत्त भी धीरे धीरे अपनी शक्ति खोने लगता है I पदमिनी भी देवदत्त में रूचि खोने लगती है I पदमिनी के कहने पर देवदत्त उज्जैन के मेले से नयी गुड़ियाँ लेने के लिए चला जाता है I भगवत फिर से मंच पर आकर कपिल के बारे बताता है कि उसने समय के साथ पहले की तरह अपनी शारीरिक शक्ति प्राप्त कर ली है I पदमिनी जंगल में कपिल से मिलती है I जब कपिल आने का कारण पूछता है तो वह कहती है कि वह अपने बच्चे को प्रकृति का अनुभव करवाने के लिए लाई है I और यह बच्चा कपिल का भी है क्यूंकि इसने कपिल के शरीर से जन्म लिया है I लेकिन कपिल उसे स्वीकार नहीं करता I थोड़े संकोच और हिचकिचाहट के बाद कपिल अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए तैयार हो जाता है I
 
देवदत्त पदमिनी को ढूंढता हुआ वहीं जंगल में आ जाता है I फिर से वही समस्या को देख और एक अंतिम हल के रूप में देवदत्त कपिल को तलवार के साथ ललकारता है और दोनों मारे जाते हैं I पदमिनी फिर से खुद को अकेला अनुभव करती है I तभी वहां भगवत आ जाता है , पदमिनी उसे बच्चा सौंप देती है और कहती है कि ५ साल बाद इसे देवदत्त के पिता ब्राह्मण विद्यासागर को सौंप देना I वह उसे देवदत्त द्वारा लाई हुई गुड़ियाँ भी पकड़ा देती है और देवदत्त व् कपिल के साथ सती होने की घोषणा करके चली जाती है I भगवत पदमिनी के सन्दर्भ में अपने भाषण के साथ नाटक को खत्म करने की सोचता है, तभी मंच पर एक चीख सुनाई देती हैI वही अभनेता आकर कहता है कि उसने घोड़े को राष्ट्रीय गान और देश भक्ति के गीत गेट हुए सुना है I तभी वहां एक और अभिनेता आता है जिसके साथ एक लड़का है और उस लडके के पास दो गुड़ियाँ हैं I
 
हयवदन मंच पर आता है I और भगवत का अभिवादन करता है I अभिनेता और भगवत हंसी मजाक में बातें करते हैं और जोर जोर से हंसने लगते हैं I वो लड़का भी हंसता है और उसके हाथ से वो गुड़ियाँ नीचे गिर जाती हैं I भगवत कहता है कि इस लडके ने पिछले 5 साल में किसी प्रकार के सुख, दुःख या हंसी को महसूस नहीं किया I सिर्फ उसकी (हयवदन) वजह से ही उसके चेहरे पर मुस्कान है I
 
अब हयवदन अपनी कहानी सुनाने लगता है कि जब वह देवी काली के मंदिर में पहुंचा तो उसने तलवार उठा कर अपना सिर भेंट चढाने का फैसला किया I तभी देवी काली ने प्रकट होकर कहा कि तुम लोग कहीं और जाकर अपना सिर क्यूँ नहीं काटते I यदि सिर ही काटना है तो मेरे पास क्यूँ आते हो ?? देवी काली ने उस से उसकी इच्छा के बारे में पूछा और उसे पूरा कर दिया I लेकिन देवी काली ने उसकी पूरी इच्छा को नहीं सुना और उसे पूरी तरह इंसान बनाने की बजाय पूरी तरह से घोड़ा बना दिया I लेकिन फिर वो खुश है I लेकिन उसे अफ़सोस है कि अभी भी उसके पास इंसान की आवाज़ हैI जिस कारण वह अभी भी पूरी तरह से घोड़ा नहीं बना I हयवदन कहता है कि जो लोग राष्ट्रिय गान गाते हैं उनकी आवाज़ जल्दी खत्म हो जाती है I इसीलिए वह राष्ट्रीय गान गा रहा था ताकि वह अपनी आवाज़ खो सकेI हयवदन सिसकने लगता है और वो लड़का उसे सांत्वना देता है I
 
हयवदन उसे अपने साथ राष्ट्रीय गान गाने के लिए कहता है लेकिन उस लड़के को इसके बारे में कुछ भी नहीं पता I वह अपनी माँ पदमिनी द्वारा गाया जाने वाला गीत ही गाने लगता है जोकि थोडा त्रासदिक है I हयवदन हंसने की कोशिश करता है और उसकी हंसी घोड़े की आवाज़ में बदल जाती है और अब हयवदन पूरी तरह से घोड़ा बन जाता है I
 
भगवत अभनेता को कहता है कि वो ब्राह्मण विद्यासागर के पास जाये और कहे कि उनका पोता एक महान घोड़े पर स्वर होकर आ रहा है I भगवत देवता गणेश का नाटक के सुखद अंत के लिए धन्यवाद करता है I