होंठओष्ठ दो भागों में विभाजित होता है-ऊपरी होंठ और निचला होंठ।ओष्ठ। विज्ञान की भाषा में इनको क्रमशः '''लेबिअम सुपीरिअस ऑरिस''' तथा '''लेबिअम इन्फ़ीरिअस ऑरिस''' भी कहा जाता है। जिस हिस्से में होंठ त्वचा के साथ मिलते हैं उस हिस्से को '''वर्मिलियन बॉर्डर''' कहते है। उसी प्रकार होंठों की लाल खाल को '''वर्मिलियन ज़ोन''' कहलाता है। यही वर्मिलियन ज़ोन मुँह के अन्दर की श्लेष्मी झिल्ली और शरीर के ऊपर की त्वचा के बीच का परिवर्तन क्षेत्र है।<ref name = "lips"/> होंठों में न तो बाल होते हैं और न ही पसीने की ग्रन्थियाँ। इसलिए उन्हें पसीने तथा शारीरिक तैल की सुरक्षा नहीं मिल पाती जिससे वह अपनी ऊपरी सतह को चिकना रख सकें, तापमान नियंत्रित कर सकें तथा रोगाणुओं से बच सकें। इसी कारणवश होंठ जल्दी सूख जाते हैं और कट-फट जाते हैं।
== ज्योतिष शास्त्र में ==
हमारे ज्योतिष शास्त्र भी होंठ को अहमियत दी गई है। ज्योतिषी व्यक्ति के होंठों को देखकर उसके व्यक्तित्व के बारे में जान लेते हैं।<ref>{{cite web| title = साहसी व स्वस्थ्य होते हैं लाल होंठ वाले पुरुष| publisher = One India Hindi| url = http://hindi.oneindia.in/astrology/2011/lipsof-man-define-personality-aid0191.html| date = ०६ नवम्बर २०११ | accessdate = २० जुलाई २०१२}}</ref>