"दशहरा": अवतरणों में अंतर
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इस पर्व को भगवती के 'विजया' नाम पर भी 'विजयादशमी' कहते हैं। इस दिन भगवान [[राम|रामचंद्र]] चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा [[रावण]] का वध कर [[अयोध्या]] पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को 'विजयादशमी' कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि [[आश्विन]] [[शुक्ल]] [[दशमी]] को तारा उदय होने के समय 'विजय' नामक [[मुहूर्त]] होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।
ऐसा माना गया है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन [[श्रवण नक्षत्र]] का योग और भी अधिक [[शुभ]] माना गया है। युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं (महत्त्वपूर्ण पदों पर पदासीन लोग) को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए। [[दुर्योधन]] ने [[पांडव|पांडवों]] को जुए में पराजित करके बारह वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त दी थी। तेरहवें वर्ष यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुनः बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में [[अर्जुन]] ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर रखा था तथा स्वयं वृहन्नला वेश में राजा [[विराट]] के यहँ नौकरी कर ली थी। जब गोरक्षा के लिए [[विराट]] के पुत्र [[
[[चित्र:Dashai.jpg|right|thumb|300px|[[नेपाल]] में विजयादशमी के दिन बड़ों के सामने नतमस्तक होकर उनका [[आशीर्वाद]] लेने की परम्परा है।]]
=== टीका टिप्पणी ===
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