"दूरदृष्टिता": अवतरणों में अंतर

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दीर्घ दृष्टि दोष-
{{नया असमीक्षित लेख|date=सितंबर 2018}}
इस दृष्टि दोष में मनुष्य को दूर की वस्तु स्पष्ट दिखाई पड़ती है परंतु नजदीक की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ती है इस दृष्टि दोष को दूर दृष्टि दोष कहते हैं।
 
[https://alarmforstudy.blogspot.com/2019/09/visual-impairments.html दीर्घ दृष्टि] दोष को दूर दृष्टिता भी कहते हैं । दीर्घ दृष्टि दोष युक्त कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है परंतु निकट रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता ,ऐसे दोष युक्त व्यक्ति का निकट बिंदु सामान्य निकट बिंदु दूर हट जाता है ,ऐसे व्यक्ति को आराम से स्पष्ट पढ़ने के लिए पठन सामग्री को नेत्र से 25 सेंटीमीटर से काफी अधिक दूरी पर रखना पड़ता है इसका कारण यह है कि पास रखी वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणों दृष्टि पटल के पीछे फोकससित होती है ।
आंखों में यह दोष उत्पन्न होने पर प्रकाश की समान्तर किरणपुंज आँख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के बाद में प्रतिबिम्ब बनाता है (न कि रेटिना पर) इस कारण पास की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनती और चींजें धुंधली दिखतीं हैं।
 
यह अधिकांश वृद्ध अवस्था की स्थिति में आता है। सामान्य लोगों में यह बहुत कम पाया जाता है।
 
इस दोष के निवारण के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
 
 
इस दोष के उत्पन्न होने के कारण है - अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक हो जाना।
 
नेत्र गोलक का छोटा हो जाना ।
 
इस दोष को उपयुक्त क्षमता के अभिसारी लेंस का उपयोग करके संशोधित किया जा सकता है।