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[[चित्र:Planck law log log scale.png|right|thumb|300px|जैसे-जैसे ताप कम होता जाता है, कृष्णिका विकिरण वक्र का शिखर कम तीव्रता एवं अधिक तरंगदैर्घ्य की तरफ चलता जाता है।]]
यदि कोई वस्तु अपने पर्यावरण के साथ [[ऊष्मागतिक साम्य]] में हो तो उस वस्तु के अन्दर या उसके आसपास से निकलने वाले [[विद्युतचुम्बकीय विकिरण]] को '''कृष्णिका विकिरण''' (Black-body radiation) कहते हैं। किसी नियत एवं एकसमान ताप वाली [[कृष्णिका]] द्वारा उत्सर्जित विद्युतचुम्बकीय विकिरण 'कृष्णिका विकिरण' कहलाता है।इसहै। सिद्धांत को प्लांक ने दिया था|कृष्णिका विकिरण का एक विशिष्ट स्पेक्ट्रम तथा तीव्रता होती है जो केवल उस वस्तु के [[तापमान]] पर निर्भर होता है।<ref>[https://en.wikipedia.org/wiki/Black-body_radiation#CITEREFLoudon2000 Loudon] 2000, Chapter 1.</ref>
 
==प्लांक का नियम==