नया पृष्ठ: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इसको नवीं शताब्दी की रचना माना है,क्यो...
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उदाहरण-
पिउ चित्तौड़ न आविऊ,सावण पहीलीपहिली तीज।
जोवै बाट बिरहिणी खिण-खिण अणवै बीज।।खीज।।
संदेसो पिण साहिबा, पाछो फिरिय न देह‌।
पंछी घाल्यावघाल्या पिंज्जरे, छूटण रो संदेह।।