"ईसाई धर्म": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Latin Cross.svg|200px|thumbnail|right|'''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है]]
'''ईसाई धर्म''' ('''मसीही धर्म''' या '''क्रिश्चियन धर्म''') प्राचीन
ईसाई धर्म के अनुसार मूर्तिपूजा, हत्या, व्यभिचार व किसी को भी व्यर्थ आघात पहुंचाना पाप है।
[[बाईबल]] ईसाई धर्म का धर्मग्रंथ है। पूरे विश्व में सर्वाधिक लोग ईसाई धर्म को मानते हैं।
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=== ईसा मसीह ===
ईसा मसीह कौन थे जिन्हें आज विश्व के सबसे ज्यादा लोग पूजा करते है
ईसा मसीह स्वयं परमेश्वर के पुत्र है| जो पतन हुए (पापी) सभी मनुष्यों को पाप और मृत्यु से बचाने के लिए जगत में देहधारण होकर (देह में होकर) आए थे। परमेश्वर जो पवित्र हैं
एक देह में प्रगट हुए ताकि पापी मनुष्यों को नहीं परन्तु मनुष्यों के अन्दर के पापों को खत्म करें। वे इस पृथ्वी पर पहले ऐसे ईश्वर है.जो पापी, बीमार, मूर्खों और सताए हुओं का
पक्ष लिया और उनके बदले में पाप की कीमत अपनी जान देकर चुकाई ताकि मनुष्य बच सकें | हमारे पापों की सजा यीशु मसीह चूका दिए इस लिए हमें पापों से क्षमा मिलती है।
यह पापी मनुष्य और पवित्र परमेश्वर के मिलन का मिशन था जो प्रभु यीशु के क़ुरबानी से पूरा हुआ। एक श्रृष्टिकर्ता परमेश्वर हो कर उन्होंने पापियों को नहीं मारा परन्तु पाप का इलाज़ किया।
यह बात परमेश्वर पिता का मनुष्यों के प्रति अटूट प्रेम को प्रगट करता है। मनुष्यों को पाप से बचाने के लिये परमेश्वर शरीर में आए। यह बात ही यीशु मसीह का परिचय है। यीशु मसीह परमेश्वर थे
यही बात आज का ईसाई धर्म का आधार है। उन्होंने स्वयं कहा मैं हूँ !!!
ईसा मसीह (यीशु) एक यहूदी थे जो [[इस्राइल]] [[इजराइल]] के गाँव बेत्लहम में जन्मे है (४ ईसापूर्व)। ईसाई मानते हैं कि उनकी माता [[मारिया]] (मरियम) कुवांरी (''वर्जिन'') थीं। ईसा उनके गर्भ में परमपिता परमेश्वर की कृपा से चमत्कारिक रूप से आये है। ईसा के बारे में यहूदी नबियों ने भविष्यवाणी की है कि एक मसीहा (अर्थात "राजा" या तारणहार) जन्म लेगा। कुछ लोग ये मानते हैं कि ईसा [[भारत]] भी आये थे। बाद में ईसा ने इजराइल में यहूदियों के बीच प्रेम का संदेश सुनाया और कहा कि वो ही ईश्वर के पुत्र हैं। इन बातों पर पुराणपंथी यहूदी धर्मगुरु भड़क उठे और उनके कहने पर इजराइल के [[रोमन]] राज्यपाल ने ईसा को [[क्रूस]] पर चढ़ाकर मारने का प्राणदण्ड दे दिया। ईसाई मानते हैं कि इसके तीन दिन बाद ईसा का पुनरुत्थान हुआ या ईसा पुनर्जीवित हो गये। ईसा के उपदेश [[बाइबिल]] के नये नियम में उनके 12 शिष्यों द्वारा रेखांकित किये गये हैं।
''' ईसा मसीह''' '''पुनरूत्थान''' यानी मृत्यु पर विजय पाने के बाद अथवा तीसरे दिन में जीवित होने के वाद '''यीशु''' एक साथ प्रार्थना कर रहे सभी शिष्य और अन्य मिलाकर कूल 40 लोग वहा मौजूद थे पहले उन सभी के सामने प्रकट हुए । उसके बाद बहूत सारे जगह पर और बहूत लोगो के साथ भी
=== पवित्र आत्मा ===
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