"सुलतानपुर जिला": अवतरणों में अंतर

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[[उत्तर प्रदेश]] [[भारत]] देश का सर्वाधिक जिलों वाला [[राज्य]] है, जिसमें कुल 75 जिले हैं। आदिगंगा [[गोमती नदी (उत्तर प्रदेश)|गोमती]] नदी के तट पर बसा [[सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश|सुलतानपुर]] इसी राज्य का एक प्रमुख जिला है। यहाँ के लोग सामान्यत: [[वाराणसी]], [[इलाहाबाद]], [[कानपुर]] और [[लखनऊ]] जिलों में पढ़ाई करने जाते हैं। सुलतानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा [[अवधी]] और सम्पर्क भाषा [[खड़ी बोली]] है।
 
== इतिहास ==g
<ref>{{cite web|url= http://sultanpur.nic.in/intro.htm|title=अधिकारीक जालस्थल}}</ref> [[सुलतानपुर]], [[उत्तर प्रदेश]] राज्य का एक ऐसा भाग है जहां अंग्रेजी शासन से पहले उदार नवाबों का राज था। पौराणिक मान्यतानुसार आज का [[सुलतानपुर]] जिला पूर्व में [[गोमती नदी]] के तट पर मर्यादा पुरुषोत्तम "भगवान श्री [[राम]]" के पुत्र '''कुश''' द्वारा बसाया गया [[कुशभवनपुर]] नाम का नगर था। [[खिलजी वंश]] के सुल्तान ने भार शिवो के राजा नंदकुवर भर को पराजित कर के इस नगर को [[सुलतानपुर]] नाम से बसाया। यहां की भौगोलिक उपयुक्तता और स्थिति को देखते हुए [[अवध]] के नवाब सफदरजंग ने इसे [[अवध]] की राजधानी बनाने का प्रयास किया था, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में [[सुलतानपुर]] का अहम स्थान रहा है। [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में ०९ जून १८५७ को [[सुलतानपुर]] के तत्कालीन डिप्टी-कमिश्नर की हत्या कर इसे स्वतंत्र करा लिया गया था। संग्राम को दबाने के लिए जब अंग्रेजी सेना ने कदम बढ़ाया तो चाँदा के '''कोइरीपुर''' में अंग्रेजों से जमकर युद्ध हुआ था। चाँदा, गभड़िया नाले के पुल, अमहट और कादू नाले पर हुआ ऐतिहासिक युद्ध [[उत्तर प्रदेश]] की '''फ्रीडम स्ट्रगल इन उत्तर प्रदेश''' नामक किताब में दर्ज तो है लेकिन आज तक उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में कुछ भी नहीं किया गया। न स्तंभ बने न शौर्य-लेख के शिलापट। यहां की रियासतों में मेहंदी हसन, नानेमऊ कोट, राजा '''दियरा''' एवं कुड़वार जैसी रियासतों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।