"अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)": अवतरणों में अंतर

Raju Jangid द्वारा सम्पादित संस्करण 4183816 पर पूर्ववत किया: स्रोतहीन संपादन। (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
छो अजीत कुमार तिवारी (Talk) के संपादनों को हटाकर 2409:4052:79F:8D63:C01:2B64:7E79:4DE3 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
पंक्ति 1:
{{एक स्रोत}}
'''अर्थशास्त्र''', [[कौटिल्य]] या चाणक्य (चौथी शती ईसापूर्व) द्वारा रचित [[संस्कृत]] का एक ग्रन्थ है। इसमें राज्यव्यवस्था, कृषि, न्याय एवं राजनीति आदि के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। अपने तरह का (राज्य-प्रबन्धन विषयक) यह प्राचीनतम ग्रन्थ है। इसकी शैली उपदेशात्मक और सलाहात्मक (instructional) है। Govind
 
यह प्राचीन भारतीय [[राजनीति]] का प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके रचनाकार का व्यक्तिनाम '''विष्णुगुप्त''', गोत्रनाम '''कौटिल्य''' (कुटिल से व्युत्पत्र) और स्थानीय नाम '''चाणक्य''' (पिता का नाम चणक होने से) था। अर्थशास्त्र (15.431) में लेखक का स्पष्ट कथन है:
पंक्ति 7:
:''इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नन्दों के हाथ में गए हुए शस्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।''
 
चाणक्य सम्राट् [[चंद्रगुप्त मौर्य]] (321323-298 ई.पू.) के महामंत्री थे। उन्होंने चंद्रगुप्त के प्रशासकीय उपयोग के लिए इस ग्रंथ की रचना की थी। यह मुख्यत: सूत्रशैली में लिखा हुआ है और संस्कृत के सूत्रसाहित्य के काल और परंपरा में रखा जा सकता है। ''यह शास्त्र अनावश्यक विस्तार से रहित, समझने और ग्रहण करने में सरल एवं कौटिल्य द्वारा उन शब्दों में रचा गया है जिनका अर्थ सुनिश्चित हो चुका है।'' (अर्थशास्त्र, 15.6)'
 
अर्थशास्त्र में समसामयिक राजनीति, अर्थनीति, विधि, समाजनीति, तथा धर्मादि पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। इस विषय के जितने ग्रंथ अभी तक उपलब्ध हैं उनमें से वास्तविक जीवन का चित्रण करने के कारण यह सबसे अधिक मूल्यवान् है। इस शास्त्र के प्रकाश में न केवल धर्म, अर्थ और काम का प्रणयन और पालन होता है अपितु अधर्म, अनर्थ तथा अवांछनीय का शमन भी होता है (अर्थशास्त्र, 15.431)।
पंक्ति 227:
 
==अन्य अर्थशास्त्र==
400 र्इ0400र्इ0 सन् के लगभग [[कामन्दक]] ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र के आधार पर [[कामन्दकीय नीतिसार]] नामक 20 सर्गों में विभक्त काव्यरूप एक अर्थशास्त्र लिखा था। यह नैतिकता और [[विदेश-नीति]] के सिद्धान्तों पर भी विचार करता है।
 
[[सोमदेव सूरि]] का [[नीतिवाक्यामृत]], [[हेमचन्द्राचार्य|हेमचन्द्र]] का लघु अर्थनीति, [[परमार भोज|भोज]] का युक्तिकल्पतरु, [[शुक्राचार्य|शुक्र]] का [[शुक्रनीति]] आदि कुछ दूसरे सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्र हैं, जिनको [[नीतिशास्त्र]] के व्यावहारिक पक्ष की व्याख्या करने वाले ग्रन्थों के अन्तर्गत भी गिना जा सकता है। चाणक्यनीतिदर्पण, नीतिश्लोकों का अव्यवस्थित संग्रह है।
 
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणसूची}}
{{टिप्पणीसूची}}
 
3. महाभारत, 12. 161. 9