"अर्थशास्त्र (ग्रन्थ)": अवतरणों में अंतर
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{{एक स्रोत}}
'''अर्थशास्त्र''', [[कौटिल्य]] या चाणक्य (चौथी शती ईसापूर्व) द्वारा रचित
यह प्राचीन भारतीय [[राजनीति]] का प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसके रचनाकार का व्यक्तिनाम '''विष्णुगुप्त''', गोत्रनाम '''कौटिल्य''' (कुटिल से व्युत्पत्र) और स्थानीय नाम '''चाणक्य''' (पिता का नाम चणक होने से) था। अर्थशास्त्र (15.431) में लेखक का स्पष्ट कथन है:
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:''इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नन्दों के हाथ में गए हुए शस्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।''
चाणक्य सम्राट् [[चंद्रगुप्त मौर्य]] (
अर्थशास्त्र में समसामयिक राजनीति, अर्थनीति, विधि, समाजनीति, तथा धर्मादि पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है। इस विषय के जितने ग्रंथ अभी तक उपलब्ध हैं उनमें से वास्तविक जीवन का चित्रण करने के कारण यह सबसे अधिक मूल्यवान् है। इस शास्त्र के प्रकाश में न केवल धर्म, अर्थ और काम का प्रणयन और पालन होता है अपितु अधर्म, अनर्थ तथा अवांछनीय का शमन भी होता है (अर्थशास्त्र, 15.431)।
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==अन्य अर्थशास्त्र==
[[सोमदेव सूरि]] का [[नीतिवाक्यामृत]], [[हेमचन्द्राचार्य|हेमचन्द्र]] का लघु अर्थनीति, [[परमार भोज|भोज]] का युक्तिकल्पतरु, [[शुक्राचार्य|शुक्र]] का [[शुक्रनीति]] आदि कुछ दूसरे सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्र हैं, जिनको [[नीतिशास्त्र]] के व्यावहारिक पक्ष की व्याख्या करने वाले ग्रन्थों के अन्तर्गत भी गिना जा सकता है। चाणक्यनीतिदर्पण, नीतिश्लोकों का अव्यवस्थित संग्रह है।
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणसूची}}
3. महाभारत, 12. 161. 9
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