"वाल्मीकि": अवतरणों में अंतर
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''''“श्लोकश्चापं पुरा गीतो भार्गवेण महात्मना !
आख्याते रामचरिते नृपति प्रति भारत !!" ''''(महाभारत १२/५७/४०)
शिवपुराणमें यद्यपि उनको जन्मान्तरका चौर्य वृत्ति करने वाला बताया है तथापि वे भार्गव कुलोत्पन्न थे । भार्गव वंशमें लोहजङ्घ नामक ब्राह्मण थे ,उन्हीका दूसरा नाम ऋक्ष था । ब्राह्मण होकर भी चौर्य आदि कर्म करते थे और श्रीनारदजीकी सद् प्रेरणासे पुनः तपके द्वारा महर्षि हो गये ।▼
भील के घर मे पले बढ़े वाल्मीकि का पूर्व नाम रत्नाकर था और वे डाकू थे।
▲शिवपुराणमें यद्यपि उनको जन्मान्तरका चौर्य वृत्ति करने वाला बताया है
“भार्गवान्वयसम्भवः !!
लोहजङ्घो द्विजो ह्यासीद् ऋक्षनामोन्तरो हि स: !
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